प्रमुख संवाददाता
नई दिल्ली. कोरोना महामारी के मद्देनज़र देश भर में चल रहे लॉक डाउन की वजह से विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों को उनके घरों को पहुंचाने का काम ट्रेनों के ज़रिये शुरू कर दिया गया है. बड़ी संख्या में मजदूरों द्वारा अचानक लॉक डाउन तोड़कर सड़कों पर आ जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी बसों के ज़रिये मजदूरों को पहुंचाने की शुरुआत की थी.
बसों के ज़रिये मजदूरों को लम्बी दूरी तक ले जाना एक बड़ी समस्या थी. इसी वजह से गृह मंत्रालय ने रेलवे बोर्ड से बात कर विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों को उनके गृह राज्य में पहुंचाने का रास्ता निकाला. ट्रेनों में इस बात का ख़ास ध्यान रखा जाएगा कि सभी यात्रियों के बीच एक निश्चित दूरी बनी रहे.
ट्रेनों के ज़रिये अपने घरों को जा रहे मजदूरों से रेलवे किसी तरह का किराया नहीं लेगा. रेलवे को इन मजदूरों का किराया राज्य सरकारें अदा करेंगी. रेलवे ने तय किया है कि वह राज्य सरकारों से शयनयान श्रेणी का किराया, 30 रुपये प्रति यात्री सुपरफास्ट शुल्क, भोजन और पानी के शुल्क के रूप में प्रति यात्री 20 रुपये का भुगतान लेगा.
एक महीने तक लगातार पटरियों पर खड़ी रही ट्रेनों को दोबारा चलाने का फैसला मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए लिया गया. रेलवे ने अपने इन विशेष यात्रियों से कहा है कि उन्हें रेलवे से कुछ भी खरीदने की ज़रूरत नहीं है. उनकी सुविधाओं का इंतजाम राज्य सरकारें कर रही हैं.