जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन और कोविड प्रोटोकाल की वजह से साप्ताहिक बाज़ारों पर पड़ी मार से परेशान दुकानदारों ने अपनी रोजी-रोटी के सवाल को लेकर अज फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दरवाज़ा खटखटा दिया. साप्ताहिक बाज़ार व्यापारी कल्याण समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री आवास पर जाकर ज्ञापन दिया और मुख्यमंत्री से ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की जिससे साप्ताहिक बाज़ार लगाने वाले व्यापारियों के परिवारों को भुखमरी से बचाया जा सके.
संगठन के अध्यक्ष वसी उल्ला आज़ाद और महामंत्री अनिल सक्सेना ने मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन में बताया है कि राजधानी लखनऊ में हमेशा से सप्ताह में पांच साप्ताहिक बाज़ार लगाने की परम्परा रही है. लॉकडाउन के दौरान तीन महीने तक सभी बाज़ार पूरी तरह से बंद रहे और अब जब लॉकडाउन में शिथिलता आयी है तब सिर्फ दो बाज़ार ही लग पा रहे हैं. ज्ञापन में बताया गया है कि रविवार को नक्खास, मंगल को आलमबाग, बुद्धवार को निशातगंज, बृहस्पतिवार को अमीनाबाद और शनिवार को सदर में बाज़ार लगती है. सरकार ने शनिवार और रविवार लॉकडाउन बरकरार रखा है जबकि बृहस्पतिवार को अमीनाबाद के बाज़ार को खोला जा रहा है. इस व्यवस्था से अमीनाबाद में भी साप्ताहिक बाज़ार नहीं लग पा रहा है. इस तरह से अब सिर्फ मंगल को आलमबाग और बुद्धवार को निशातगंज का बाज़ार ही लग रहा है.
व्यापारी नेता वसी उल्ला आज़ाद और अनिल सक्सेना ने कहा है कि कोरोना महामारी की वजह से 2021 की शुरुआत में साप्ताहिक बाज़ार व्यापारी कल्याण समिति ने खुद ही बैठक बुलाकर बाज़ार बंद करने का एलान किया था ताकि संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सके और अब जब सरकार की कोशिशों से महामारी को लगाम लगी है तब व्यापारियों को दो दिन लॉक डाउन की वजह से और बृहस्पतिवार को अमीनाबाद बाज़ार खुलने की वजह से बाज़ार लगाने से वंचित होना पड़ रहा है. हालात ऐसे हो गए हैं कि व्यापारियों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है.
वसी उल्ला आज़ाद ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि रविवार को नक्खास में लगने वाली साप्ताहिक बाज़ार को सोमवार को करा दिया जाए और बृहस्पतिवार को अमीनाबाद में लगने वाली बाज़ार का दिन भी बदल दिया जाए. ऐसा करने से साप्ताहिक बाज़ार के व्यापारियों का कारोबार भी चलता रहेगा.
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वसी उल्ला आज़ाद ने यह भी कहा है कि मुख्यमंत्री ने पटरी दुकानदारों को कोरोना काल में एक हज़ार रुपये महीना की मदद का एलान किया था लेकिन एक फीसदी दुकानदार को भी यह लाभ नहीं मिला. इसकी असल वजह यह है कि अधिकाँश दुकानदार श्रम विभाग और नगर निगम में पंजीकृत नहीं हैं. बेहतर हो कि दुकानदार की पहचान बाज़ारों में की जाए और इस योजना का लाभ उन्हें दिया जाए. ताकि साप्ताहिक बाज़ारों के व्यापारियों के परिवारों को भुखमरी से बचाया जा सके.