न्यूज़ डेस्क
केंद्र में सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने शौच मुक्त भारत बनाने के लिए अहम अभियान चलाएं है। इसको लेकर हर दिन नए नए आकड़े भी पेश किये गये। इन आकड़ों से ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कौन सा क्षेत्र शौंच मुक्त हुआ या नही। बिहार में इसी घटना को लेकर एक ताजा मामला सामने आया है। जोकि एक बड़े घोटाले से जुडा हुआ है। इस घोटाले के तहत अब तक करीब 1309 लोगों पर एफआइआर दर्ज की गयी है।
मिली जानकारी के अनुसार नगर विकास एवं आवास विभाग ने नगर निकायों से पैसा लेकर शौचालय नहीं बनाने वाले 1309 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। बता दें कि यह केवल बिहार के सिर्फ 17 नगर निकायों की संख्या है। अन्य स्थानों पर जांच होने के बाद इसकी संख्या बढ़ सकती है।
दरअसल जिन लोगों ने पहली किस्त का पैसा ले लिया उसके बाद उन्होंने शौचालय निर्माण नहीं कराया उन लोगों के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। जबकि शौचालय का निर्माण अधूरा छोडऩे वालों को नोटिस दिया गया है। जिन लोगों को नोटिस जारी किया गया है उनकी संख्या छह हजार से अधिक है।
दिए गये थे 7500 रूपये
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय बनाने के लिए हर परिवार वालों को 12 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। इसमें पहली किस्त के रूप में 7500 रुपये दिए गए थे। पैसे लेने के बाद लोगों ने निर्माण नहीं कराया। खास बात यह है कि इस राशि का भुगतान सीधे आरटीजीएस के जरिए उनके खातों में किया गया जो नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायतों में रह रहे थे।
55 दिनों मे खुले में शौच से मुक्त प्रखंड
जहां एक और बिहार में शौच मुक्त भारत के अभियान को लेकर बिहार में ये मामला सामने आया है। वहीं, बिहार के ही कुछ इलाके ऐसे है जो पूरी तरह से इससे छुटकारा पा चुके है। बिहार के रोहतास जिले के विक्रमगंज अनुमंडल के संझौली प्रखंड मात्र 55 दिनों मे खुले में शौच से मुक्त होने वाला बिहार का पहला प्रखंड बन गया है। अब तक बिहार में संझोली व पश्चिमी चंपारण का पिपरासी प्रखंड पूरी तरह से शौच मुक्त हो चुके हैं। सबके लिए इस सम्मान घर खुला हुआ था। यानी जिले का सबसे गंदा गांव आज स्वच्छता का मानक गांव बन चुका था।