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गूगल ने आज अपने होमपेज पर खास डूडल बनाया है। डूडल में एक महिला बैठी है और उसके सामने काला गुलाब है। दरअसल आज मशहूर पंजाबी लेखिका और कवयित्री अमृता का सौवां जन्म दिन है। इस खास मौके को गूगल ने अपने अंदाज में प्रस्तुत किया है।
अमृता प्रीतम ने अपनी रचनाओं में जिदंगी के विभिन्न रंगों को अपने शब्दों में पिरोया है, जिसे पढ़कर एक सुकून मिलता है। अमृता ने वहीं लिखा जिसे जिया है। 31 अगस्त, 1919 को पंजाब के गुजरांवाला में जन्मी अमृता प्रीतम पंजाबी की लोकप्रिय लेखिका थीं। उन्हें पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है।
अमृता ने करीब सौ किताबें लिखीं, जिनमें उनकी आत्मकथा रसीदी टिकट भी शामिल है। उनकी कई रचनाओं का अनेक देशी और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ। उनकी कविता ‘आज आंखां वारिस शाह नू’ के लिए भी याद किया जाता है, जिसमें उन्होंने 1947 भारत-पाकिस्तान बंटवारे का मार्मिक चित्रण किया है।
अमृता प्रीतम ने 16 साल की उम्र में अपना पहला संग्रह प्रकाशित किया था। अमृता ने अपने जीवन में 28 उपन्यास लिखे, जिनमें पिंजर भी शामिल है। पिंजर में भी भारत-पाकिस्तान बंटवारे की पृष्ठभूमि पर आधारित एक मार्मिक कहानी का चित्रण है, जिस पर 2002 में इसी नाम से एक फिल्म भी बनाई गई। 2005 में अमृता प्रीतम का निधन हो गया।
छह दशक लंबे करियर में उन्हें बहुत से सम्मान मिले जिनमें 1981 में भारतीय ज्ञानपीठ और 2005 में मिला भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण भी शामिल हैं।
विभाजन के बाद अमृता पाकिस्तान चली गईं और वहां उन्होंने हिंदी और उर्दू भाषा में भी कई किताबें लिखीं। प्रीतम की आत्मकथा काला गुलाब, उनकी जिंदगी से जुड़े कई अनोखे अनुभव साझा करता है और दूसरी महिलाओ को भी प्यार और शादी जैसे मामलों में खुलकर अपनी बात रखने के लिए प्रेरित करता है।
गूगल की ओर से आज होमपेज पर बनाए गए डूडल में भी उनकी आत्मकथा काला गुलाब का ही संदर्भ लिया गया है। प्रीतम ने ऑल इंडिया रेडियो के लिए भी काम किया और लिटरेरी जर्नल ‘नागमणि’ का संपादन भी किया।
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