न्यूज डेस्क
दिल्ली की जनता की सेवा करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर तैयार हैं। आज वह रामलीला मैदान में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस शपथ ग्रहण समारोह की सबसे बड़ी बात यह है कि केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को इस पल का साक्षी बनने के लिए खुद आमंत्रित किया है।
केजरीवाल ऑडियो और वीडियो के जरिए दिल्ली की जनता से अपील कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग उनके शपथ समारोह में पहुंचे। एक बार फिर केजरीवाल उसी ऐतिहासिक रामलीला मैदान में शपथ लेने के लिए तैयार हैं, जहां पर पहले दो बार वो मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं।
शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। अब इंतजार है उस पल का, जब अरविंद केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगें। केजरीवाल मैदान में 12:15 पर CM पद की शपथ लेंगे ।
रामलीला मैदान में लगाई गई हैं 45 हजार कुर्सियां
शपथ ग्रहण की तैयारी पूरी हो चुकी है। रामलीला मैदान को पूरी तरह सजा दिया गया है। मैदान में पूरी 45 हजार कुर्सियां लगवाई गई हैं। सभी कुर्सियां किसी वीआईपी गेस्ट के लिए नहीं बल्कि दिल्ली की उस जनता के लिए लगाई गई हैं जिसने दिल्ली के सिंहासन पर आम आदमी पार्टी को एक बार फिर बैठा दिया है।
दिल्ली की जनता का स्वागत करने के लिए आम आदमी पार्टी ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है। केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में जनता ही मुख्य रूप से उनकी मेहमान होगी। मैदान में इस बार कोई टेंट नहीं लगाया गया है, ताकि शपथ ग्रहण आसानी से देखा जा सके। मैदान में 12 बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं। पूरे मैदान में साउंड सिस्टम लगाए गए हैं। विधायकों और अधिकारियों के लिए अलग एंक्लोजर बनाया गया है। इसके अलावा रामलीला मैदान में कई केबिन भी बनाए गए हैं।
‘छोटे मफलरमैन’ भी आयेंगे समारोह में
मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी, दिल्ली के सातों सांसदों, नवनिर्वाचित आठों बीजेपी विधायकों और सभी नगर निगम पार्षदों को भी आमंत्रित किया गया है। हालांकि पीएम मोदी रविवार को वाराणसी में कई परियोजनाओं का उद्घाटन करने वाले हैं। इसके अलावा आप ने चुनाव परिणाम के दिन पार्टी कार्यालय परिसर में अपने पिता के साथ केजरीवाल के पुराने गेटअप में पहुंचे एक साल के ‘छोटे मफलरमैन’ अव्यान तोमर को भी खासतौर से आमंत्रित किया है।
रामलीला ग्राउंड से पुराना नाता है केजरीवाल का
रामलीला मैदान से अरविंद केजरीवाल का बहुत पुराना नाता है। यह वहीं मैदान है जहां से केजरीवाल ने राजनीति की शुरुआत की। यहीं से उन्होंने राजनीति की पाठशाला में एंट्री ली थी, और यहीं से दिल्ली का सिंहासन हासिल किया था। साल 2013 में भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना आंदोलन के मुख्य कर्णधारों में अरविंद केजरीवाल भी थे। आंदोलन चला, आंदोलन खत्म हुआ, अन्ना वापस रालेगण सिद्धि लौट गए, मगर अरविंद डटे रहे।