जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी अगले साल राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी ताकत के साथ तैयारियों में जुट गई है. अमित शाह का रॉड मैप तैयार है. बीजेपी ने इस बार राजस्थान की 75 फीसदी सीटें जीतने का दावा किया है. बीजेपी की बड़ी तैयारियों के बीच सचिन पायलट और सोनिया गांधी की मुलाक़ात के कई मायने तलाशे जा रहे हैं. सचिन पायलट ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कहा है कि राजस्थान का चुनाव जीतने के लिए कुछ बहुत अहम काम करने होंगे. इस मुलाक़ात के बाद राजस्थान में सचिन पायलट की बड़ी भूमिका निश्चित हो गई है. वह भूमिका मुख्यमंत्री की होगी या फिर कोई और यह आने वाले समय में पता चलेगा.
कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाक़ात के बाद सचिन पायलट ने कहा है कि राजस्थान देश का ऐसा राज्य है जहां हर पांचवें साल सरकार बदल जाती है. इस बार अगर इस मिथ को तोड़ना है तो कांग्रेस को कुछ बहुत ज़रूरी कदम उठाने होंगे. कांग्रेस न तो राजस्थान की सरकार को गंवाने के मूड में है न ही सचिन पायलट को ही खुद से दूर करना चाहती है. कांग्रेस के लिए सचिन अब सबसे ज्यादा कीमती नेता हैं क्योंकि राहुल गांधी के करीबी दोस्तों में गिने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह कांग्रेस का हाथ छोड़कर कमल की सवारी कर चुके हैं लेकिन तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सचिन ने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा. सचिन को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री की कुर्सी भी छोड़नी पड़ी लेकिन सचिन कांग्रेस के साथ ही बने रहे.
2018 में हुए चुनाव के बाद सचिन राजस्थान में और ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे लेकिन सोनिया गांधी ने मध्य प्रदेश में कमलनाथ और राजस्थान में अशोक गहलोत पर भरोसा किया क्योंकि दोनों बहुत वरिष्ठ थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ की सरकार को गिरा दिया और बीजेपी का दामन थाम लिया लेकिन तमाम विरोध के बावजूद सचिन पायलट ने न तो गहलोत की सरकार गिराई और न कांग्रेस का साथ छोड़ा.
अब जब चुनाव सर पर है और सचिन राजस्थान में कांग्रेस को जिताने की ज़िम्मेदारी लेने को तैयार हैं तो बहुत संभव है कि कांग्रेस नेतृत्व अशोक गहलोत को समझा बुझाकर पद छोड़ने को तैयार कर ले और चुनाव से पहले सचिन की ताजपोशी हो जाए. सचिन युवा हैं. जोश से भरे हैं. पिछली बार जीत में उनकी बड़ी भूमिका थी. इस बार मुख्यमंत्री के तौर पर कोशिश करेंगे तो स्थितियां और भी बेहतर हो सकती हैं. कांग्रेस खेमे से यह संकेत तो साफ़ हैं कि अब सचिन की भूमिका बड़ी होगी लेकिन क्या मुख्यमंत्री की ? तो यह साफ़ नहीं है लेकिन नहीं लगता कि सचिन मुख्यमंत्री से कम भूमिका पर मानेंगे क्योंकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री तो वह पहले ही रह चुके हैं.
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