जुबिली न्यूज डेस्क
चेन्नई में आज डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने उन्हें शपथ दिलाई।
स्टालिन के साथ वरिष्ठ नेता दुरई मुरुगन और अन्य नेताओं ने भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। बताया गया है कि स्टालिन अपने मंत्रिमंडल में फिलहाल 34 सदस्य रखेंगे।
एमके स्टालिन ने पहली बार सीएम के रूप में पद ग्रहण किया है। वह गृह के अलावा सार्वजनिक एवं सामान्य प्रशासन सहित अखिल भारतीय सेवाएं, जिला राजस्व अधिकारी, विशेष कार्यक्रम कार्यान्वयन और दिव्यांगों के कल्याण विभाग को भी संभालेंगे।
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द्रमुक के वरिष्ठ नेता एवं पार्टी महासचिव दुरई मुरुगन जल संसाधन मंत्री बनाए गए हैं। इन दोनों के अलावा चेन्नई के पूर्व मेयर एम सुब्रमण्यन और उत्तर चेन्नई से पार्टी के नेता पी. के. सेकरबाबू उन व्यक्तियों में शामिल होंगे जो पहली बार मंत्री पद की शपथ ले रहे हैं।
कौन हैं एमके स्टालिन?
एमके स्टालिन, यानी मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन। एम करुणानिधि और उनकी दूसरी पत्नी दयालु अम्मल के घर एक मार्च, 1953 को स्टालिन का जन्म हुआ था। एमके मुथु और एमके अलागिरी के बाद वे एम करुणानिधि के तीसरे बेटे हैं।
1973 में पहली बार स्टालिन सक्रिय राजनीति में आए थे। तब स्टालिन को द्रविड़ मुनेत्र कझगम (DMK) की आम समिति में चुना गया था।
इसके बाद वे चेन्नई के थाउजेंड लाइट्स निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार चुनाव जीतकर विधायक बने। वे इस सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं।
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कैसे बने करूणानिधि के राजनीतिक वारिस
एम करुणानिधि के सियासी वारिस बनने तक का स्टालिन का सफर इतना आसान भी नहीं रहा है। उनकी राह में सबसे बड़ी चुनौती उनके खुद के भाई बने हैं। खासकर उनके सौतेले भाई अलागिरी जो कि पार्टी की दक्षिण इकाई संभालते थे।
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लेकिन, करुणानिधि ने स्टालिन की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें ही अपना राजनीतिक वारिस बनाया। इतना ही नहीं मुत्थु और अलगिरी को पार्टी से निकाल भी दिया गया। हालांकि, करुणानिधि ने यह भी पैगाम दिया था कि जब तक वे जिंदा हैं, तब तक वही पार्टी की कमान संभालेंगे और स्टालिन उनके न रहने पर ही नेता बनेंगे।