जुबिली पोस्ट डेस्क
दुनिया के 100 ताकतवर लोगों की सूची में शामिल होना भला किसे अच्छा नहीं लगेगा। लेकिन जब इस ताकत के कारण नकारात्मक हो तो बात जरूर चुभेगी ।
नरेंद्र मोदी के समर्थकों का मनोभाव फिलहाल शायद ऐसा ही हो। दुनिया के सबसे बड़ी पत्रिकाओं में शुमार अमेरिकी मैग्जीन “ टाइम ” ने हर बार की तरह इस बार भी दुनिया के 100 सबसे ताकतवर लोगों की सूची जारी की है। इसमें सिनेमा से ले कर साइंस तक और सियासत से ले कर सामाजिक आंदोलनों के लोग शामिल है ।
जिन भारतीयों को इस लिस्ट में जगह मिली है उनमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक्टर आयुष्मान खुराना, वैज्ञानिक प्रोफेसर रवींद्र गुप्ता और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई शामिल हैं ।
इस लिस्ट में एक और नाम भी है बिलकिस बानो का जिन्होंने नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली में शाहीन बाग में चले आंदोलन की अगुआई की थी।
टाइम मैग्जीन अपनी लिस्ट में शामिल हर शख्सियत के बारे में एक टिप्पणी लिखती है। और इसी टिप्पणी में टाइम ने नरेंद्र मोदी के ताकत के बारे में क्या लिखा है ये पढ़ना भी जरूरी है ।
बीबीसी हिन्दी ने टाइम की टिप्पणी का अनुवाद इस तरह किया है – “लोकतंत्र के लिए मूल बात केवल स्वतंत्र चुनाव नहीं है। चुनाव केवल यही बताते हैं कि किसे सबसे ज़्यादा वोट मिले। लेकिन इससे ज़्यादा महत्व उन लोगों के अधिकारों का है, जिन्होंने विजेता के लिए वोट नहीं किया भारत पिछले सात दशकों से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बना हुआ है।
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यहाँ की 1.3 अरब की आबादी में ईसाई, मुसलमान, सिख, बौद्ध, जैन और दूसरे धार्मिक संप्रदायों के लोग रहते हैं। ये सब भारत में रहते हैं, जिसे दलाई लामा समरसता और स्थिरता का एक उदाहरण बताकर सराहना करते हैं। ”
इसके बाद टाईम के संपादक ने जो लिखा है वो और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है।
टाइम मैग्जीन ने लिखा है – “नरेंद्र मोदी ने इस सबको संदेह के घेरे में ला दिया है। हालाँकि, भारत में अभी तक के लगभग सारे प्रधानमंत्री 80% हिंदू आबादी से आए हैं, लेकिन मोदी अकेले हैं जिन्होंने ऐसे सरकार चलाई जैसे उन्हें किसी और की परवाह ही नहीं ।
उनकी हिंदू-राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने ना केवल कुलीनता को ख़ारिज किया बल्कि बहुलवाद को भी नकारा, ख़ासतौर पर मुसलमानों को निशाना बनाकर। महामारी उसके लिए असंतोष को दबाने का साधन बन गया । और दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र और गहरे अंधेरे में चला गया है।”
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टाइम मैग्जीन की ये टिप्पणी बता रही है कि बाहरी दुनिया प्रधानमंत्री मोदी को किस तरह देखती है। टाइम मैग्जीन ने नरेंद्र मोदी को एक से अधिक बार अपने कवर पेज पर जगह दी है। पहली बार जब ऐसा हुआ था तो मोदी समर्थकों ने इसे सोशल मीडिया पर खूब प्रचारित किया , लेकिन बीते आम चुनावों के पहले जब मोदी कवर पर आये तो एक विवाद भी खड़ा हो गया था ।
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टाइम ने अपनी कवर स्टोरी में कहा था ”क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मोदी सरकार को आने वाले और पांच साल बर्दाश्त कर सकता है?” और कवर पर लिखा था ‘India’s Divider In Chief’ ।
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जाहिर है भाजपा को ये बात नागवार गुजरी और उसने टाइम को चुनावी साजिश का हिस्सा बता दिया था। और अब जब उसी टाइम मैग्जीन में 100 ताकतवर की सूची में मोदी का नाम आया है , तो उसके बाद की टिप्पणी ने एक बार फिर मोदी समर्थकों की पेशानी पर बल ला दिया है।