जुबिली न्यूज डेस्क
तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमा पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान आंदोलन को धार देने की कोशिश में लगे हुए हैं तो वहीं केंद्र सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है।
किसान नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार इस कानून को खत्म नहीं करती वह वापस नहीं जायेंगे। इस बीच भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को धमकी दी है कि अगर कानून वापस नहीं लिए गए तो वे अब कंपनियों के गोदामों को निशाना बनाएंगे।
केंद्र सरकार को स्पष्ट शब्दों में राकेश टिकैत ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि तीनों कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन की अगली कार्रवाई के तहत कुछ निजी कंपनियों के गोदामों को ध्वस्त कर दिया जाएगा।
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टिकैत ने यह बातें अबोहर से 40 किमी दूर श्रीगंगानगर में संयुक्ता किसान मोर्चा के आह्वान पर बुलाई गई ‘किसान महापंचायत’ में कही।
टिकैत ने कहा कि कुछ प्राइवेट कंपनियों ने नए कानून को ध्यान में रखते हुए बड़े-बड़े गोदामों का निर्माण किया है और अनाज का भंडारण करना शुरू कर दिया।
किसान नेता ने कहा कि सरकार नया कानून लाने जा रही है जिसमें दूध, बिजली, फर्टिलाइजर, बीज और मोटर वाहनों की मार्केटिंग कॉर्पोरेट्स के हाथों में चली जाएगी।
टिकैत ने युवाओं को किसानों के आंदोलन की जिम्मेदारी लेने और खेतों की ओर रुख करने और खुद के लिए रोजगार पैदा करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि देश की मीडिया कर्नाटक, तमिलनाडु और देश के अन्य हिस्सों में किसान आंदोलनों की खबर नहीं दिखा रहा है, लेकिन हम सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचेंगे।
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ओडिशा और एमपी में अगले 15-20 दिनों में एमएसपी खरीद आंदोलन शुरू होने वाला है।
मालूम हो कि आंदोलन को तेज करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 26 मार्च को अपने ‘संपूर्ण भारत बंद’ के लिए रणनीति बनाने के लिए विभिन्न जन संगठनों और संघों के साथ बुधवार को मुलाकात की।
पत्रकारों से बातचीत में गंगानगर किसान समिति के रंजीत राजू ने कहा कि किसान आंदोलन के चार महीने 26 मार्च को पूरे होने के मौके पर राष्ट्रव्यापी बंद के आह्वान के दौरान भी दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान 12 घंटे तक बंद रहेंगे। इसके बाद, 28 मार्च को केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों की प्रतियों का होलिका दहन किया जाएगा।