राजीव ओझा
हाल ही में एक ऐसी घटना हुई कि इन गानों की लाइन याद आ गई-हे हे हे.. बम्बई से आया मेरा दोस्त हे, दोस्त को सलाम करो..रात को खाओ पियो, हे दिन को आराम करो…
खबर यह है की पन्ना (म.प्र.) टाइगर रिजर्व से एक बाघ कुछ दिन पहले भटक कर उत्तर प्रदेश के महोबा और हमीरपुर के कुछ गाँवों में टहल गया। इसकी दहशत ऐसी थी कि क्षेत्र के करीब एक दर्जन गाँव सौ फीसदी ओडीएफ़ हो गए। जो काम सरकार न करा पाई वो काम एक बाघ ने कर दिया तो ये फिल्मी गाना फिर याद आ गया लेकिन कुछ इस तरह…हे हे हे..पन्ना से आया एक बाघ, बाघ को सलाम करो..रात को खाओ पियो, लेकिन इज्जत घर में ही शौच करो…
..बम्बई से आया मेरा दोस्त हे, दोस्त को सलाम करो..यह गाना फिल्म आपकी खातिर का है। इसे भप्पी लाहिरी ने गाया था। फिल्म 1977 में आई थी और हीरो थे विनोद खन्ना। करीब चार दशक बाद आज भी यह गाना बहुत लोकप्रिय है। इसीलिए बरबस यह गाना याद आ गया।
वैसे कागजों पर महोबा- हमीरपुर के वो क्षेत्र जहाँ बाघ दिखा, पहले ही ओडीएफ़ घोषित हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि अभी भी खुली हवा प्रेमी कुछ लोग इन गाँव में खुले में शौच करते हैं। लेकिन जब क्षेत्र में बाघ के घूमने की सूचना मिली तो सब को डर के मारे कब्जियत हो गई। जिनको नहीं हुई वो घर में बने- अधबने “इज्जत घर” का प्रयोग कर अपनी जान और इज्जत दोनों बचा रहें है। फिलहाल पिछले दो दिनों से टाइगर क्षेत्र में नहीं दिखा है। गाँव वालों का कहना है कि बाघ ने क्षेत्र में दो जंगली सुअरों का शिकार किया है। वन कर्मियों का मानना है कि बाघ वापस पन्ना रिजर्व में लौट गया है।
महोबा में खन्ना थाना क्षेत्र के कुनेहटा गांव में युवराज सिंह के खेत मे अचानक टाइगर दिखने से किसानों में हड़कम्प मच गया था । टाइगर की गर्जना सुन ग्रामीणों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। टाइगर की खबर कुछ ही देर में ग्रामीणों से होते हुए प्रशासन और वन विभाग तक जंगल की आग की तरह फैल गयी। वन विभाग के डीएफओ रामजी राय ने बताया कि कुनेहटा गांव में टाइगर दिखने की सूचना मिली थी।
महोबा में टाइगर का आना किसी आश्चर्य से कम नही है। इसी तरह महोबा जिले के गयोढ़ी और कुनेह्टा इलाके में भी बीते दिनों खेत मे टाइगर देखे जाने से किसानों में दहशत का माहौल है वन विभाग और पुलिस की टीमो ने सतर्कता पूर्वक टाइगर को पकड़ने के लिए टाइगर सर्च ऑपरेशन चलाया लेकिन कोई सफलता नही मिली। लगता है टाइगर वापस पन्ना के जंगल लौट गया है लेकिन अपना काम कर गया है।
अब लोग मजबूरी में ही सही, घर में बने टॉयलेट का प्रयोग कर रहें है। इससे अच्छा क्या हो सकता है की क्षेत्र के आधा दर्ज गांव अपने आप ओडीएफ हो गये। जो लोग अब तक गाँव को ओडीएफ़ करने के सरकार के प्रयास अनदेखी कर रहे थे वो एक बाघ के खौफ के चलते अब खुले शौच जाना तो दूर लोगो ने अपने खेतों में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। जो टाइगर लगभग सवा सौ किलोमीटर की यात्रा करते हुए यूपी के हमीरपुर और महोबा पहुंचा और गाँव वालों को बिना हानि पहुंचाए अनजाने में एक दर्जन गाँव को ओडीएफ़ का सन्देश दे गया, उसे तो दोस्त ही कहा जायेगा और दोस्त को सलाम तो करना ही पड़ेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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