जुबिली न्यूज डेयस्क
लखनऊः उत्तर प्रदेश के तीन शहर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में चिह्नित किए गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से सटे ये तीनों जिले भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के ताजा सर्वे में प्रदेश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल किए गए हैं।
पिछले पांच सालों में एयर क्वालिटी में सुधार के बावजूद PM2.5 प्रदूषण के मामले में नोएडा, मेरठ और गाजियाबाद क्रमशः 5वें, 6वें और 7वें स्थान पर हैं। हालांकि नोएडा में PM2.5 का स्तर 2019 में 113.8 ug/m से कम होकर 2023 में 83.6 ug/m हो गया है, फिर भी इसमें प्रदूषण का लेवल हाई है।
नोएडा के पीएम- 10 का स्तर घटा
इसी तरह, मेरठ में PM2.5 का स्तर 2019 में 140 ug/m से घटकर इस साल 81.2 ug/m हो गया है। पीएम 10 प्रदूषण के मामले में सबसे प्रदूषित शहरों में नोएडा और गाजियाबाद चौथे और पांचवें स्थान पर हैं, जबकि मेरठ सातवें स्थान पर है। साल 2019 में 216.6 ug/m से 2023 में 194 ug/m और इसी अवधि के दौरान गाजियाबाद का PM10 स्तर 243.3 ug/m से गिरकर 184.3 ug/m हो गया।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा स्थापित निरंतर वायु गुणवत्ता मॉनिटरों के डेटा के विश्लेषण से पता चला कि वाराणसी ने 2019 और 2023 के बीच पीएम2.5 और पीएम10 के स्तर में सबसे महत्वपूर्ण कमी हासिल की है। वाराणसी ने पीएम-2.5 में रेकॉर्ड 72% (96 ug/m से 26.9 ug/m तक) की कमी देखी है। वहीं PM-10 में 69% की कमी (202.5 ug/m से 62.4 ug/m तक) के साथ दोनों प्रदूषकों के लिए 40% की कटौती के अपनेलक्ष्य को 2026 से पहले ही पार कर लिया है।
सूचकांक पर बोलते हुए क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा कि पिछले पांच सालों में यूपी ने अपनी एनसीएपी जर्नी में कई सकारात्मक चीजें देखी हैं। कई शहरों में एयर क्वालिटी मॉनिटर स्थापित किए हैं और निगरानी नेटवर्क को मजबूत किया है। वाराणसी, आगरा, लखनऊ, कानपुर, मेरठ, गाजियाबाद और नोएडा जैसे शहरों में 2019 से 2023 तक PM2.5 के स्तर में महत्वपूर्ण (26% से 72% के बीच) कमी देखी गई है। PM-10 के स्तर में भी इसी तरह की कमी देखी गई है। यह समझने के लिए आगे शोध किया जाना चाहिए कि इन शहरों ने प्रदूषण में कटौती कैसे हासिल की है?