हाईपावर कमेटी ने एनजीटी से की सिफारिश, रामगढ़ ताल वेट लैंड के पांच सौ मीटर दायरे में बने मकान हों ध्वस्त
मल्लिका दूबे
गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर में स्थित नैसर्गिक रामगढ़ ताल के संरक्षण को लेकर बनायी गयी हाई पावर कमेटी की सिफारिशों को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यदि स्वीकार कर लिया तो सीएम सिटी में हजारों लोगों का बेघर हो जाना तय है। हाई पावर कमेटी ने रामगढ़ ताल के पांच सौ मीटर दायरे में बनी कालोनियों, आवासों व अन्य निर्माण कार्यों को छह माह में ध्वस्त करने की सिफारिश एनजीटी से की है।
इसमें सर्वाधिक कालोनियां, आवास खुद गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा बनवाए गए हैं। यह वह इलाका है जिसे पिछले एक दशक में शहर के सबसे पॉश इलाके में गिना जाता है और यहां आवासीय जमीनों की कीमत पूरे शहर में सर्वाधिक है।कमेटी की सिफारिशें इस कदर सख्त हैं जिनके लागू होते ही इस शहर से विकास प्राधिकरण का वजूद ही मिट जाएगा।
हाई पावर कमेटी ने की सख्त सिफारिशें
रामगढ़ ताल वेट लैंड मामले पर एनजीटी ने गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राधेमोहन मिश्र की शिकायत पर एक न्यायाधीश डीपी सिंह की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी बनायी थी। इस कमेटी में एनजीटी के पूर्वी यूपी की नदियों एवं जल संरक्षण निगरानी समिति के सचिव राजेंद्र सिंह व अन्य अधिकारी भी शामिल थे। स्थलीय निरीक्षण, बहस और तमाम तथ्यों का अवलोकन करने के बाद कमेटी ने बेहद सख्त सिफारिशें की हैं। हाई पावर कमेटी ने रामगढ़ ताल के 500 मीटर के दायरे में पर्यावरण विभाग की मंजूरी के बिना हुए सभी निर्माण को अवैध बताया है।
हजारों मकान हो जाएंगे जमींदोज, जीडीए की कई कालोनियों का मिट जाएगा नामोनिशान
एक अनुमान के मुताबिक इस दायरे में दस हजार से अधिक मकान आ जाएंगे। सिफारिश लागू हुई तो ये सारे मकान जमींदोज हो जाएंगे। इसके तहत जीडीए की तमाम रेजीडेंशियल और कामर्शियल प्रोजेक्ट्स के तहत बने हजारों मकान तो ध्वस्त होंगे ही काश्तकारों से जमीन बैनामा कराकर मकान बनवा रह रहे हजारों परिवार भी बेघर हो जाएंगे। गोरखपुर विकास प्राधिकरण की कई फेज वाले वसुंधरा, लोहिया, अमरावती समेत कई प्रोजेक्ट का नामोनिशान मिट जाएगा।
सर्किट हाउस व चिड़ियाघर बचे रहेंगे
इस सिफारिश में सिर्फ सर्किट हाउस, इससे संबद्ध मिनी सचिवालय और चिड़ियाघर के निर्माण को ध्वस्तीकरण से मुक्त रखा गया है।
प्रभावित लोगों को उसी साइज की जमीन देना होगा जीडीए को
एनजीटी से की गयी सिफारिश में कहा गया है कि जीडीए द्वारा आवंटित जमीनों में निर्मित मकान ध्वस्त कराए जाएं तथा जीडीए उन्हें किसी दूसरी जगह उसी साइज की जमीन उपलब्ध कराने के साथ ही पांच लाख रुपये का मुआवजा भी दे। साथ ही रिपोर्ट में 50 मीटर के दायरे में कोई पक्का निर्माण, धातु सड़क या बोल्डर से जुड़ा निर्माण न हो, इसे भी पूरी तरह सुनिश्चित करने को कहा गया है।
अगर इस दायरे में जीडीए ने किसी भी तरह के निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृत किया होगा तो उसे ध्वस्तीकरण पर आने वाले खर्च को भी जीडीए को ही देना होगा। सिफारिशों में रामगढ़ ताल के किनारे जीडीए और वन विभाग को पौधे लगाने का निर्देश देने को कहा है।
मिट जाएगा जीडीए का वजूद
हाईपावर कमेटी की सिफारिशों को एनजीटी ने स्वीकार कर लिया जो जीडीए पूरी तरह बर्बाद-तबाह हो जाएगा। उसकी न केवल तमाम परियोजनाएं बंद हो जाएंगी बल्कि जमीन आैर मुआवजा देने में वह दिवालिया हो जाएगा। बहरहाल जीडीए में हड़कम्प की स्थिति है और वह एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी में जुट गया है।
पूर्व कुलपति ने की थी शिकायत
एनजीटी में रामगढ़ ताल वेट लैंड मामले की शिकायत गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राधेमोहन मिश्र ने की थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि पर्यावरण संरक्षण के प्रावधानों की सरासर अनदेखी करते हुए जीडीए ने रामगढ़ ताल वेट लैंड को अतिक्रमित कर दिया है।