जुबिली न्यूज़ डेस्क
कुशीनगर। झांसी में स्ट्राबेरी महोत्सव, लखनऊ में गुड़ महोत्सव, सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल महोत्सव के सफल आयोजन के बाद कुशीनगर में चार दिवसीय बनाना फेस्टिवल (केला महोत्सव) का शुभारम्भ सोमवार को हुआ। बुद्धा पार्क में आयोजित केला महोत्सव में 35 किसानों और उद्यमियों ने स्टाल लगाए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पारम्परिक उद्यम को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार ने 2018 में ओडीओपी योजना शुरू की थी। कुशीनगर में केले की अच्छी खेती को देखते हुए केले के रेशे (फाइबर) से बने उत्पादों को जिले की ओडीओपी में चयनित किया गया। बाद में इसमें केले के अन्य उत्पादों को भी जोड़ दिया गया। वर्तमान में जिले में 4400 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर केले की पैदावार हो रही है।
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4000 किसान इसकी खेती से जुड़े हैं, तो ओडीओपी में शामिल होने के बाद करीब 500 लोग इसकी प्रोसेसिंग में रोजगाररत हैं। जिला उपायुक्त, उद्योग और उद्यम प्रोत्साहन सतीश गौतम ने उम्मीद जाहिर की कि केला महोत्सव से यह संख्या और बढ़ेगी। प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए यहां एक सीएफसी (कॉमन फैसिलिटी सेंटर) की कार्य योजना भी अंतिम प्रक्रिया में है।
जिले में अभी बनाना फाइबर प्रोसेसिंग की तीन यूनिट हैं और सीएफसी बनने से यह संख्या तेजी से बढ़ेगी। बनाना फेस्टिवल से जिले में ओडीओपी योजना को भी धार दी जा रही है। आयोजन के जरिये केले के हर भाग के व्यावसायिक उपयोग से किसानों और इसकी प्रोसेसिंग में लगे उद्यमियों की आर्थिक उन्नति की राह प्रशस्त हो रही है। प्रदेश में किसानी के साथ उद्यमिता को बढ़ावा देने पर सरकार का विशेष ध्यान है।
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जिलों में पारम्परिक कृषि उत्पादों को नई प्रविधियों से प्रोसेस कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ा जा रहा है, इसकी बानगी लखनऊ के राज्य गुड़ महोत्सव और सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल महोत्सव के बाद कुशीनगर के केला महोत्सव में देखने को मिल रही है।
महोत्सव में पहुंच रहे लोगों की दिलचस्पी है कि जिस केले को वे खाकर उसका छिलका फेंक देते हैं, उस केले के पौधे का तो हर भाग उपयोगी है। केले के रेशे से बनाए गए कपड़े, चप्पल, दरी और तमाम सजावटी सामान लोगों का मन मोह रहे हैं।
फूड प्रोसेसिंग से तैयार केले के पापड़, चिप्स और आचार की भी इस फेस्टिवल में धूम है। केला फल के रूप में एक सम्पूर्ण पोषक खाद्य सामग्री तो है ही, प्रोसेसिंग के जरिये इसका हर भाग उपयोगी है।
सरकार द्वारा प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने से पहले फल का उपयोग कर बाकी हिस्से को फेंक दिया जाता था। अब केले से चिप्स, अचार और पापड़ बनाने के साथ इसके पत्तों ओर तने के रेशों का विभिन्न उत्पाद बनाने में इस्तेमाल हो रहा है, अपशिष्ट से जैविक खाद भी बनाई जा रही है।
पत्तों से प्लेट बन रही है तो तने से निकाले गए रेशों से कपड़े, टोपी, फुटमैट और अन्य सजावटी सामान। बनाना फेस्टिवल में इन उत्पादों को स्टालों पर प्रदर्शित किया गया है। साथ ही किसानों को अधिक उत्पादकता के लिए प्रेरित करने को टिश्यू कल्चर से तैयार केले के पौधों के कई स्टाल लगाए गए हैं।
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