सुरेंद्र दुबे
कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रात आठ बजे जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर राष्ट्र को संबोधित किया। कल पूरा दिन लोगों का इस कयास में बीत गया कि आखिर मोदी रात आठ बजे कौन सा धमाका करने वाले हैं। इस चक्कर में कई लोगों का ब्लड प्रेशर भी ऊपर-नीचे होता रहा। दिन भर बड़का टीवी वाले लोग कुछ न कुछ कयास लगाकर जनता को उद्वेलित करते रहे, लेकिन शाम आते-आते लगता है उन्हें सरकारी चैनल से यह जानकारी जता दी गई कि भइया मामला 370 का ही है, बिला वजह इधर-ऊधर की लंतरानी में जनता को मत भटकाओं। सो रात आठ बजे प्रधानमंत्री जी ‘भय प्रगट कृपाला’ के अंदाज में प्रगट हो गए। और अनुच्छेद 370 को कोसते हुए जम्मू-कश्मीर के युवकों को सुनहरे भविष्य और सरकारी कर्मचारियों को तरह-तरह के भत्ते देने के वादे शुरु कर दिए।
मैंने भी पूरे ध्यान से या यूं कहें बड़े मनोयोग से मोदी का पूरा भाषण सुना। मेरे मन में यह भी कल्पना थी कि पाकिस्तान ने समझौता एक्प्रेस रोक दी है, भारत के उच्चायुक्त को पाकिस्तान से भगा दिया है, कई एयर स्पेस बंद कर दिए हैं। और तो और उन्होंने भारतीय फिल्में भी दिखाने पर रोक लगा दी है।
पाकिस्तानियों के लिए शायद यही सबसे चिंता की बात होगी क्योंकि उनके पास मनोरंजन के लिए भारतीय फिल्में ही सबसे सस्ता साधन है। उनकी अपनी फिल्में तो इतनी घटिया है कि उन्हें स्वयं पाकिस्तानी भी नहीं देखते। उससे ज्यादा मनोरंजन तो उनकी टीवी इंडस्ट्री करती है जो प्रधानमंत्री इमरान से लेकर किसी भी हुक्मरान का माखौल उड़ाती रहती है। अगर ऐसा न करें तो वहां के टेलीविजन चैनल ही बंद हो जाए। नेताओं की मिमिक्री ही वहां के टीवी चैनल की सबसे बड़ी टीआरपी है।
ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तान को धमकाने के लिए मोदी जी कोई न कोई वॉयस बम जरूर फोड़ेंगे। पर मोदी जी ने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे भक्तों का मूड कुछ खराब हो गया। या ये कहें कि भक्त अनमने से हो गए। जब तक पाकिस्तान को भला-बुरा न कहा जाए तब तक इन भक्तों का खाना हजम नहीं होता।
अब जब मोदी जी ने न तो समझौता एक्सप्रेस पर कुछ कहा, न एयर स्पेस रोकने पर अपनी नाराजगी जतायी, तो मामला सीधे-सीधे अनुच्छेद 370 को हटाए जाने पर टिक गया। वैसे यह भी गलत कहा जा रहा है कि अनुच्छेद 370 हटा दिया गया है। वस्तुस्थिति यह है कि अनुच्छेद 370 के खंड एक से प्राप्त अधिकार का उपयोग करते हुए राष्ट्रपति ने खंड दो और तीन को निष्प्रभावी किया है।
कल के भाषण की सबसे मजेदार बात यह थी कि जिनके लिए भाषण था, वे भाषण सुन ही नहीं रहे थे। उन्हें सुनने की इजाजत नहीं थी, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में चार दिन से कफ्र्यू लगा हुआ है। इंटरनेट, टेलीफोन, टेलीविजन और सोशल मीडिया बंद है। जाहिर है कि अभी सीधे हवा से टीवी वॉयस डाउनलोड करने की तकनीक विकसित नहीं हुई है।
इसलिए बेचारे कश्मीरी, प्रधानमंत्री की भावनाओं से अवगत होने से वंचित रह गए और जिन्हें सुनना जरूरी नहीं था उन्होंने बड़े चाव से सुना कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर कैसे सुनहरे भविष्य की पींगे भरने लगेगा।
अपनी चिरपरिचित शैली से अलग प्रधानमंत्री मोदी ने कल विपक्ष पर भी कोई निशाना नहीं साधा। हां ये जरूर कहा कि विपक्ष को भी इस भगीरथी प्रयास में सरकार का साथ देना चाहिए। विपक्ष की तो अपनी ही भगीरथी सूखी जा रही है, वे बेचारे क्योंकर और कैसे भाजपा की भगीरथी में चार लोटा पानी उड़ेल दें।
मोदी जी को भी चार लोटा पानी की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनकी अपनी नदी पहले से ही उफान पर है। तमाम छोटे-छोटे माइनर उनके अंदर समाहित होते जा रहे हैं। पर राजनीति में सदाशयता भी बड़ी चीज होती है। इसलिए उन्होंने बड़ा दिल दिखाते हुए छोटे-छोटे लोगों से सहयोग मांग लिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कल अपने भाषण में कहा कि उन्होंने ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह फैसला कश्मीर के भाई-बहनों के अधिकारों के लिए लेना जरूरी था। अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के भाई-बहनों के विकास में जो बड़ी बाधा थी, वो अब दूर हो गई है। मोदी ने पटेल, अंबेडकर, श्यामाप्रसाद और अटल जी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह इन महापुरुषों का भी सपना था। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक नए युग की शुरुआत हुई है। देश में सभी नागरिकों के हक और दायित्व समान हैं।
अब इतना भावपूर्ण भाषण जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश ने सुना। यानि उन्होंने सुना जिन्हें कुछ लेना-देना नहीं है। हां ये लोग गौरवान्वित हो सकते हैं और प्रधानमंत्री की ‘मोदी है तो मुमकिन’ है के नारे को दोहरा सकते हैं।
पर आप ये न समझिए कि प्रधानमंत्री को यह नहीं मालूम था कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट, टीवी तथा टेलीफोन बंद है। पर उन्हें मालूम था कि उन पांच राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, बिहार और दिल्ली में चुनाव होना है। बिहार और दिल्ली में 2020 के शुरुआती महीनों में चुनाव होना है और बाकी तीन राज्यों में इसी चार माह के भीतर। तो चलो इसी बहाने चुनाव होने वाले राज्यों में चुनाव प्रचार हो गया और पूरे देश में ये मैसेज चला गया कि मोदी ने जो कहा वो कर दिखाया।
अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद कॉमन सिविल कोड और राम मंदिर का निर्माण प्राथमिकता पर है। राम मंदिर के मुद्दे पर तो सुप्रीम कोर्ट में नियमित सुनवाई चल रही है, कल तक तो सब ठीक था, आज सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पुराना राग अलापना शुरु कर दिया है। मामले को इतनी जल्दी निपटाने की क्या जरूरत है। हफ्ते में पांच दिन सुनवाई क्यों की जा रही है। इन लोगों को अभी तक ये बात समझ में नहीं आई है कि सरकार और राम भक्तों को जल्दी है।
देखना होगा कि पहले राम मंदिर का मामला निपटता है या फिर कॉमन सिविल कोड पर चिकचिक शुरु हो जाती है। बहरहाल प्रधानमंत्री को जिन्हें सुनाना था उन्होंने पूरे ध्यान से सुन लिया। रही बात जम्मू-कश्मीर की तो वहां के लोगों तक भी सारी बातें स्थिति समान्य होने तक पहुंच ही जायेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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