पॉलिटिकल डेस्क।
लोकसभा चुनाव 2019 में एकबार फिर बीजेपी ने अप्रत्याशित जीत हासिल की है। मोदी लहर में देशभर में कई ऐसे लोग भी चुनाव जीते हैं जिनकी कोई खास पहचान नहीं थी। वहीं पार्टी की इस प्रचंड जीत के बावजूद केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा गाजीपुर लोकसभा सीट से हार गए हैं। उन्हें बीएसपी प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने हराया है। अफजाल संयुक्त गठबंधन के प्रत्याशी हैं।
मनोज सिन्हा की हार चौंकाने वाली है क्योंकि मोदी मंत्रिमंडल में रहते मनोज सिन्हा के कराए कामों के लिए उनके विरोधी भी कायल हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सिन्हा की हार का प्रमुख कारण ‘रायवाद’ को बढ़ावा देना है।
बीजेपी के एक स्थानीय नेता ने बताया कि, मनोज सिन्हा ने विकास कार्य तो खूब कराए लेकिन ज्यादातर टेंडर और ठेके जिन लोगों को मिले वो ‘राय’ लोगों को मिले। इस वजह से अन्य वर्ग के लोगों में नाराजगी व्याप्त थी। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि संचार मंत्री के रूप में मनोज सिन्हा के कार्यकाल में बीएसएनएल का घाटे में जाना भी उन्हें नुकसान पहुंचाने वाला एक फैक्टर रहा है।
हालांकि पूर्वांचल में भाजपा को सबसे ज्यादा वोटों का फायदा गाजीपुर में ही हुआ है। यहां मनोज सिन्हा ने अपने प्रभाव से वाराणसी से भी ज्यादा भाजपा को बढ़त दिला दी। भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में भी मनोज सिन्हा को मैदान में उतारा था। तब मनोज सिन्हा ने 3 लाख 6 हजार 929 वोट हासिल कर सपा की शिवकन्या को हराया था। इस बार मनोज सिन्हा ने पिछली बार से 1 लाख 39 हजार 761 वोट ज्यादा हासिल किये। उन्हें 4 लाख 46 हजार 690 मत मिले।
बताया यह भी जा रहा है कि गठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने चुनावी लड़ाई को अपने और मनोज सिन्हा के बीच ही केंद्रित रखने को ताकत लगाई और इसमें सफल भी रहे। इसी वजह से प्रदेश में जहां अन्य स्थानों पर मोदी फैक्टर चला, वहीं गाजीपुर की लड़ाई मनोज सिन्हा पर ही केंद्रित रह गई। रही-सही कसर पूरी कर दी बाहर से गाजीपुर पहुंचे भूमिहार चेहरों ने, जिनकी भीड़ ने भी सिन्हा विरोधियों की गोलबंदी बढ़ाई।
यह समीकरण भी सिन्हा की हार का कारण बना
गाजीपुर सीट पर यादव, मुस्लिम और अनुसूचित जाति के मतदाता काफी निर्णायक हैं। इनकी संख्या 9 लाख के आसपास है। इनमें मुस्लिम लगभग दो लाख हैं।
बता दें कि मनोज सिन्हा का जन्म 1 जुलाई 1959 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मोहनपुरा नमक स्थान पर हुआ। सिन्हा भूमिहार ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखते हैं।
मनोज सिन्हा ने गाजीपुर से ही अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की और फिर बीएचयू स्थित आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। ‘विकास पुरुष’ कहे जाने वाले सिन्हा ने 2016 में संचार मंत्री के रूप में रविशंकर प्रसाद से प्रभार ग्रहण किया था।
राज्यसभा जा सकते हैं सिन्हा
तमाम विकास कार्यों के बाद भी गाजीपुर से मिली हार के बाद अब चर्चा इस बात पर हो रही है कि क्या अब मनोज सिन्हा दोबारा मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो पाएंगे।
बीजेपी के सूत्रों के माने तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और रवि शंकर प्रसाद के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राज्यसभा की सीटें खाली हो गयी हैं। माना जा रहा है कि मनोज सिन्हा बिहार से रवि शंकर प्रसाद की जगह राज्यसभा जा सकते हैं।