प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. कानपुर का चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय अपने क्रियाकलापों से निरंतर कीर्तिमान बनाने में जुटा हुआ है. इस विश्वविद्यालय ने नियम क़ानून को पूरी तरह से ठेंगा दिखा दिया है. यह विश्वविद्यालय लगातार शासनादेशों की अवहेलना में लगा है. शासन की तरफ से लगातार चिट्ठियों पर चिट्ठियां जा रही हैं और कार्रवाई के लिए लिखा जा रहा है लेकिन इन चिट्ठियों को भी विश्वविद्यालय ने नोटिस लेना छोड़ दिया है.
यह कृषि विश्वविद्यालय अनियमितताओं के दलदल में इस तरह से धंसता जा रहा है कि इसे उबारने में ही बरसों लग जायेंगे. हालात ऐसे हैं कि अब विश्वविद्यालय प्रशासन पर राजभवन से आने वाले पत्रों का भी असर नहीं होता. शासन से आदेश पर आदेश आते रहते हैं विश्वविद्यालय अपने रास्ते पर उसी अंदाज़ में बढ़ता रहता है. उसे यह अहसास भी नहीं होता कि सरकार की तरफ से माँगी गई जानकारियाँ उसे उपलब्ध करानी चाहिए.
सांसद और विधायक इस कृषि विश्वविद्यालय की अनियमितताओं के बारे में सरकार को लिख चुके हैं. शिक्षक दल से जुड़े जनप्रतिनिधि मुद्दा उठा चुके हैं. अपर मुख्य सचिव ने भी विश्वविद्यालय को आदेशात्मक पत्र भेजा है मगर हालत यह है कि विश्वविद्यालय अपने बनाए रास्ते को छोड़ने को तैयार नहीं है. नियुक्तियों में भी वह शासनादेश को ठेंगा दिखाने लगा है. शासनादेश ने जो नियम तय किये हैं उसके विपरीत जाकर वह नियुक्तियां कर रहा है.
यह है ताज़ा मामला
चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने अपने कृषि विज्ञान केन्द्रों में भर्तियों के लिए सरकारी नियमों को ताक पर रख दिया है । विश्वविद्यालय ने अपने कृषि विज्ञान केन्द्रों में समूह ग और घ में 52 पदों पर नियुक्तियों के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया है। विज्ञापन यह कहा गया सभीकि नियुक्तियां साक्षात्कार के आधार पर की जाएंगी जबकि प्रदेश सरकार 31 अगस्त 2017 को ही शासनादेश कर साक्षात्कार की परम्परा को बंद कर केवल लिखित परीक्षा के आधार पर ही भर्ती का आदेश दे चुकी है।
लेकिन विश्वविद्यालय ने शासनादेश की अवहेलना करते हुए लिखित परीक्षा को किनारे रखकर साक्षात्कार के ज़रिये नियुक्तियां करने का फैसला कर लिया है.
विश्वविद्यालय ने कृषि विज्ञान केन्द्रों में लैब टेक्नीशियन के 10, प्रोग्राम असिस्टेंट (कंप्यूटर) के 07, फार्म मैनेजर के 10, सहायक के 11, स्टेनोग्राफर (ग्रेड-3) के 03, जीप ड्राइवर के 04, ट्रैक्टर ड्राइवर के 05 और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के 02 पदों पर सीधे साक्षात्कार के ज़रिये भर्ती का विज्ञापन प्रकाशित किया है.
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नियमानुसार यह नियुक्तियां अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के ज़रिये की जानी चाहिए थीं ताकि नियुक्तियों में पारदर्शिता बनी रहे लेकिन विश्वविद्यालय ने इस नियम को भी दरकिनार कर दिया. 48 सौ ग्रेड पे की नौकरियां अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अंतर्गत ही आती हैं.
चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय द्वारा एक के बाद जिस तरह से शासन के निर्देशों को दरकिनार किया जा रहा है उस पर जिम्मेदारों की निगाह कब पड़ेगी ये भी एक प्रश्न है । विश्वविद्यालय प्रशासन को एक के बाद एक चिट्ठियाँ उच्च अधिकारी भेज रहे हैं मगर उन आदेशों का अनुपालन कितना हुआ इस बारे में कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।