Saturday - 26 October 2024 - 5:02 PM

भारत के बारे में संयुक्त राष्ट्र की ये रिपोर्ट डराने वाली है! जानिए ऐसा क्यों

जुबिली न्यूज डेस्क

जल ही जीवन है ऐसा कहा जाता है क्योकि जल के बीना जीवन संभव नही है। ऐसे में भारत को लेकर संयुक्त राष्ट्र का रिपोर्ट डराने वाला है।दरअसल, संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में सिंधु-गंगा के मैदान के कुछ क्षेत्र पहले ही भूजल की कमी के खतरनाक स्तर को पार कर चुके हैं। उधर, पूरे उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में साल 2025 तक कम भूजल उपलब्धता का गंभीर संकट होने का खतरा है।

बता दे कि ‘इंटरकनेक्टेड डिजास्टर रिस्क रिपोर्ट 2023’ शीर्षक से संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय-पर्यावरण और मानव सुरक्षा संस्थान (यूएनयू-ईएचएस) ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है।

दुनिया के लिए 6 खतरनाक समस्याएं

रिपोर्ट में दुनिया के 6 अहम खतरों की तरफ ध्यान दिलाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया अभी 6 ऐसे खतरे के पास पहुंच गई है जो खतरनाक है।

1-तेजी से विलुप्त होना
2-भूजल की कमी
3-पर्वतीय ग्लेशियर का पिघलना
4-अंतरिक्ष मलबा
5-असहनीय गर्मी
6-अनिश्चित भविष्य

धरती का चक्र बदलने का खामियाजा भुगतेगी दुनिया

रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि धरती पर जो चक्र है उसको बर्दाश्त करने की एक सीमा होती है। अगर यहां अचानक कोई बड़े बदलाव होते हैं तो वो अपरिवर्तनीय होते हैं, जिससे इको सिस्टम, जलवायु के पैटर्न और पूरे पर्यावरण पर गहरा और कभी-कभी बेहद विनाशकारी असर होता है।

भारत में भूजल खत्म होने के कगार पर!

पानी की कमी होने की स्थिति में अक्सर कृषि के लिए लगभग 70 प्रतिशत भूजल निकासी किया जाता है। सूखे के कारण होने वाले कृषि नुकसान को कम करने में ये भूमिगत जल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण यह चुनौती और भी बदतर होने की आशंका है।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भूमिगत जल स्रोत खुद भी अब खत्म होने की कगार पर पहुंच रहे हैं। दुनिया के आधे से अधिक प्रमुख भूमिगत जल स्रोत प्राकृतिक रूप से फिर से भरने के बजाय तेजी से कम हो रहे हैं। कुओं में जिस भूमिगत जलस्तर से पानी आता है अगर पानी उस भूमिगत जलस्तर से नीचे चला जाता है तो किसान पानी तक पहुंच खो सकते हैं, जिससे संपूर्ण खाद्य उत्पादन प्रणालियों के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

दुनिया के कई देशों में भूजल संकट

सऊदी अरब जैसे कुछ देश पहले ही भूजल की कमी से जूझ रहे हैं। जबकि भारत समेत अन्य देश इससे ज्यादा दूर नहीं हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है, जो अमेरिका और चीन के संयुक्त उपयोग से अधिक है। भारत का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र देश की बढ़ती 1.4 अरब आबादी के लिए ‘रोटी की टोकरी’ के रूप में कार्य करता है, जिसमें पंजाब और हरियाणा राज्य देश में चावल उत्पादन का 50 प्रतिशत और 85 प्रतिशत गेहूं भंडार का उत्पादन करते हैं।

2025 तक गंभीर भूजल संकट

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पंजाब में 78 प्रतिशत कुओं का भूजल के लिए बेहद ज्यादा उपयोग किया जाता है और पूरे उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में 2025 तक गंभीर रूप से कम भूजल उपलब्धता का अनुभव होने का अनुमान है।’

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