जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू की मुलाक़ात के बाद यह माना जा रहा था कि दोनों के बीच की तल्खियां पूरी तरह से खत्म हो चुकी हैं।
कहा तो यहां तक जा रहा था कि जल्दी ही सिद्धू फिर से कैप्टन की सरकार में मंत्री की भूमिका में नज़र आयेंगे लेकिन सिद्धू ने अचानक से अपने दो ट्वीट के ज़रिये दो बातें साफ़ कर दीं।
पहली तो यह कि उनके और सरकार के बीच अभी दरार बाकी है और दूसरी यह कि पंजाब कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है।30 मार्च को सिद्धू ने ट्वीट किया, “अर्जुन, भीम, युधिष्ठर सारे समा गए इतिहास में, पर शकुनी के पासे अब भी हैं सियासी लोगों के हाथ में।
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दांव खेला है पंजाब में”रात के ट्वीट को लोग समझने की कोशिश कर ही रहे थे कि 31 मार्च की सुबह-सुबह एक और ट्वीट मैदान में उतर चुका था, “एक समय था जब मन्त्र काम करते थे, उसके बाद एक समय आया जिसमें तंत्र काम करते थे, फिर समय आया जिसमें यंत्र काम करते थे, आज के समय में षड्यंत्र काम करते हैं”सिद्धू के यह दो ट्वीट्स यह साबित करने को बहुत हैं कि पंजाब कांग्रेस में आल इस वेल की पोजीशन नहीं है। पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिद्धू के कांग्रेस आलाकमान से अच्छे रिश्ते हैं।
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यही वजह है कि वह कैप्टन अमरिंदर सिंह की अधीनता स्वीकार नहीं कर पाए। वह हमेशा से राहुल गांधी को ही अपना कैप्टन मानते रहे हैं।
सिद्धू के पास पंजाब में नगर विकास विभाग था। कैप्टन के साथ रिश्तों में आयी खटास के बाद सिद्धू से नगर विकास मंत्रालय वापस ले लिया गया।
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सिद्धू ने इसके बाद ही मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।सिद्धू कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं। लोग उनकी बात सुनते हैं और कांग्रेस उन्हें खोना नहीं चाहती लेकिन सिद्धू भी मुख्यमंत्री के अधीन होकर काम नहीं करना चाहते।
यही वजह है कि 10 मार्च को कैप्टन और सिद्धू की मुलाक़ात का इंतजाम किया गया था लेकिन सिद्धू के ट्वीट बताते हैं कि हालात अभी भी जहां के तहां हैं।