- सौर क्षमता उत्पादन में आंध्र प्रदेश और गुजरात सबसे आगे
- देश में इन राज्यों की 28,000 मेगावाट पहुंची सौर क्षमता उत्पादन
नई दिल्ली। देश की कुल सौर बिजली उत्पादन क्षमता 31 दिसंबर 2018 को 28,050 मेगावाट पहुंच गयी। इसमें छतों और नहरों आदि के ऊपर लगने वाली 3850 मेगावाट की उत्पादन क्षमता शामिल हैं। इसके अलावा 17,650 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं पर काम जारी है। ब्रिज टू इंडिया ने एक रिपोर्ट में यह कहा है। सौर परियोजनाओं को लगाने के मामले में कर्नाटक (5,328 मेगावाट), तेलंगाना (3,501 मेगावाट) तथा राजस्थान (3,081 मेगावाट) लगातार शीर्ष पर बने हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 बेहतर रहने की संभावना है लेकिन नई सरकार को निवेशकों को आकर्षित करने के लिये मेहनत करनी होगी।
‘इंडिया सोलर कम्पास क्यू 4, 2018’ शीर्षक से जारी तिमाही रिपोर्ट में पिछली तिमाही और पूरे साल 2018 में क्षमता वृद्धि, निविदा, कंपनियों, कीमत प्रवृत्ति के बारे में विस्तृत विश्लेषण किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार 31 दिसंबर 2018 की स्थिति के अनुसार देश में सौर ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 28,057 मेगावाट रही जबकि निर्माणधीन परियोजनाओं की क्षमता 17,658 मेगावाट थी। कुल स्थापित क्षमता में छतों/नहरों आदि पर लगने वाली सौर ऊर्जा क्षमता की हिस्सेदारी 3,855 मेगावाट रही। इसमें कहा गया है कि 1,446 मेगावाट क्षमता अक्टूबर-दिसंबर, 2018 को समाप्त तिमाही में जोड़ी गयी।
चौथी तिमाही में ग्रिड से जुड़ी सौर विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि की रफ्तार 30 जून 2018 को समाप्त तिमाही के बाद धीमी रही है और 2017 की चौथी तिमाही के मुकाबले यह 46 प्रतिशत कम है। वहीं दूसरी तरफ छतों पर लगने वाली सौर क्षमता का बाजार तेजी से बढ़ा और पिछले साल के मुकाबले यह 47 प्रतिशत बढ़ा।
दिसंबर 2018 में सर्वाधिक 200 मेगावाट क्षमता यहां जोड़ी गयी
छतों पर लगने वाली क्षमता को छोड़कर सौर परियोजनाओं को लगाने के मामले में कर्नाटक (5,328 मेगावाट), तेलंगाना (3,501 मेगावाट) तथा राजस्थान (3,081 मेगावाट) लगातार शीर्ष पर बने हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में अप्रत्याशित रूप से 51,118 मेगावाट क्षमता की नई निविदाएं जारी की गयीं। इसमें से 15,000 मेगावाट क्षमता के लिये दिसंबर 2018 को समाप्त तिमाही में निविदाएं जारी की गयी।
हालांकि निविदाओं का स्वरूप बाजार की उम्मीदों के अनुरूप नहीं रही जिससे 16,725 मेगावाट क्षमता की निविदाओं को रद्द करना पड़ा। जबकि 9,238 मेगावाट की निविदाओं के लिये कोई बोलीदाता सामने नहीं आया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 बेहतर रहने की संभावना है लेकिन नई सरकार को निवेशकों को आकर्षित करने के लिये मेहनत करनी होगी।