न्यूज़ डेस्क
आजाद भारत के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। स्वतंत्र भारत के 70 साल बाद आज जन्नत कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर और लद्दाख को आज से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिल गया। पांच अगस्त को आर्टिकल 370 हटाने के बाद आज ये दोनों एक अलग राज्य बन गये हैं। अलग राज्य बनने के साथ ही यहाँ पर ससंद के बने कई कानून लागु हो जाएंगे।
नए राज्य बनने के बाद जम्मू कश्मीर एक विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में शुमार होगा। जम्मू कश्मीर का विभाजन कराने में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अहम् किरदार निभाया था। इसीलिए खास उनकी जयंती के मौके पर ऐसा किया गया।
इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर सहित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित घोषित करने वाला राजपत्र (गैजेट) जारी कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश बना है। इसके साथ ही इसका पुनर्गठन भी हो गया है। नए केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जो बदलाव हुए है वो कुछ इस तरह से है।
अभी तक पूर्ण राज्य रहा जम्मू-कश्मीर आज से यानी 31 अक्टूबर से दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बदल जायेगा। जम्मू-कश्मीर एक अलग और लद्दाख अलग दो नए केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। इस राज्य के पुनर्गठन कानून के तहत लद्दाख बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर विधानसभा सहित केंद्र शासित प्रदेश होगा।
जम्मू-कश्मीर में अभी तक राज्यपाल पद था लेकिन अब यहां उप-राज्यपाल होंगे। उपराज्यपाल की नियुक्ति भी कर दी गयी है। गिरीश चंद्र मुर्मू को जम्मू-कश्मीर तो लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को उपराज्यपाल बनाया गया है।
अब इन दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा लेकिन एडवोकेट जनरल अलग होंगे। सरकारी कर्मचारी के पास दोनों में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा। इसके साथ ही केंद्र शासित राज्य बनने के बाद यहां कम से कम 106 केंद्रीय कानून लागू हो जाएंगे।
इनमें केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग का कानून, सूचना अधिकार कानून, एनमी प्रॉपर्टी एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाला कानून शामिल है। इसके साथ ही 35-ए के हटने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम सात कानूनों में बदलाव होगा।
जम्मू-कश्मीर के राज्य पुनर्गठन कानून के तहत करीब 153 ऐसे कानून खत्म हो जाएंगे, जिन्हें राज्य के स्तर पर बनाया गया था। हालांकि, 166 कानून अब भी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू रहेंगे।
राज्य के पुनर्गठन के साथ राज्य की प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था भी बदल रही है। जम्मू-कश्मीर में जहां केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ साथ विधानसभा भी बनाए रखी गई है। वहां पहले के मुकाबले विधानसभा का कार्यकाल अब पांच साल का ही होगा। इसके साथ ही अनुसूचित जाति के साथ ही अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी।
विधान सभा में पहले कैबिनेट में 24 मंत्री बनाए जा सकते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अन्य राज्यों की तरह कुल सदस्य संख्या के 10% से ज़्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकेंगे। वहीं, विधान परिषद् को भी हटा दिया गया है। हालांकि, राज्य से आने वाली लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से पांच और केंद्र शासित लद्दाख से एक लोकसभा सांसद ही चुन कर आएगा। साथ ही पहले की तरह ही राज्यसभा के चार सांसद ही चुने जाएंगे। ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव आयोग 31 अक्टूबर के बाद राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। इसमें आबादी के साथ भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक बिंदुओं पर ध्यान रखा जा सकता है।
अभी तक जम्मू कश्मीर में अब तक 87 सीटों पर चुनाव होते थे। इनमें चार लद्दाख की, 46 कश्मीर की और 37 जम्मू की सीटें थीं। लद्दाख की चार सीटें हटाकर अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में 83 सीटें बची हैं, जिनमें परिसीमन होना है। इससे विधान सभा की सीटों की संख्या बढ़ भी सकती है।