जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार में सियासी उठापटक के बीच आखिरकार एनडीए की सरकार सोमवार को बन गई। नई सरकार में एक बार फिर सीएम के तौर पर नीतीश कुमार ही एनडीए की पहली पसंद रहे और बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर सातवीं पर काबिज हुए है।
हालांकि नीतीश सरकार इस बार काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ उनकी कैबिनेट के 14 मंत्रियों ने अपने पद और गोपनीयता की शपथ ली है लेकिन इन सूची में सुशील मोदी का नाम गायब रहा।
दिग्गज नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी नई सरकार में कोई भूमिका नहीं दी गई है। उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को वित्त विभाग वाणिज्य विभाग के अलावा छह विभाग, उप मुख्यमंत्री रेणु देवी पिछड़ा कल्याण विभाग, पंचायती राज और उद्योग विभाग दिया गया है।
सुशील मोदी को आखिर क्यों नहीं शामिल किया गया है। इसको लेकर भी कयासों का दौर जारी है। इस पूरे मामले पर आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने खुलकर कहा है।
उन्होंने डिप्टी सीएम ना बनाए जाने की वजह का खुलासा करते हुए कहा है कि बिहार सरकार में सुशील मोदी की भूमिका भाजपा नेता की कम और नीतीश कुमार के सहयोगी की ज्यादा बन गई थी।
मुझे लगता है कि इसी वजह से भाजपा ने इस बार उन्हें डिप्टी सीएम नहीं बनाया। बिहार में सुशील मोदी किसी और भाजपा नेता को आगे बढऩे ही नहीं दे रहे थे। वो हर रोज किसी ना किसी मुद्दे पर बयान देते थे और उन्हें टीवी, अखबारों पर दिखने की आदत पड़ गई थी।
शिवानंद तिवारी यही नहीं रूके और आगे कहा कि सुशील मोदी से मेरी कोई दुश्मनी नहीं है, वो मेरे छोटे भाई की तरह हैं, लेकिन उनके व्यक्तित्व में गंभीरता की कमी है। मेरा मानना है कि इसी वजह से भाजपा नेतृत्व ने उन्हें इस बार बिहार सरकार की कैबिनेट में कोई पद नहीं दिया है।
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बता दें कि इस बार नीतीश कुमार का रोल बदला हुआ नजर आ रहा है। दरअसर इस चुनाव में नीतीश की पार्टी ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया और नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली जेडीयू 43 सीटे ही जीत सकी है।
दूसरी ओर बीजेपी ने 74 सीटें जीतकर अपना दबदबा कायम किया है। ऐसे में बिहार में अब नीतीश बड़े भाई के रोल में नहीं होंगे। इस वजह से उनके लिए सत्ता चालाना काफी मुश्किल भरा हो सकता है।