जुबिली न्यूज डेस्क
हाथरस मामले में योगी सरकार को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। एक बार फिर पुलिस-प्रशासन के झूठे दावों की पोल खुली है।
हाथरस कांड की पडि़ता का मेडिको-लीगल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुई है। इस रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि स्वंय पीड़िता ने बलात्कार किए जाने की बात कही थी, डॉक्टरों ने बलात्कार की पुष्टि की थी।
इस मेडिकल रिपोर्ट ने पुलिस के उन दावों की पोल खोल दी है जिसमें कहा गया था कि पीड़िता का बलात्कार नहीं हुआ था, क्योंकि एफएसएल रिपोर्ट में पुरुष शुक्राणु के पाए जाने की पुष्टि नहीं हुई थी।
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वेबसाइट ‘द वायर’ ने अलीगढ़ के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के डॉक्टरों की टीम की ओर से तैयार की गई मेडिको लीगल रिपोर्ट का अध्ययन कर एक खबर लिखी है, जिसमें लिखा गया है कि पीडि़ता की योनि का ‘पेनीट्रेशन’ हुआ था और उसके साथ बल प्रयोग किया गया था।
मेडिकल रिपोर्ट में क्या लिखा है?
‘द वायर’ के मुताबिक 54 पेज की इस रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि पीड़िता का ‘वेजाइनल पेनीट्रेशन बाई पेनिस’ हुआ था, ‘दुपट्टे से उसका गला दबाया गया था’, उसे ‘क्वाड्रिपैरेसिस’ हुआ था, यानी चार अंग- दोनों हाथ और दोनों पांव शिथिल हो गए थे, उसे ‘पैराप्लेजिया’ हुआ था, यानी होंठ के नीचे का पूरा अंग सुन्न हो गया था।
मेडिको लीगल रिपोर्ट के मुताबिक, 22 सितंबर को न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉक्टर एम. एफ़ हुदा ने लिखा कि रोगी की स्थिति बहुत ही नाजुक है, इसलिए उसका मृत्यु के पहले का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया जाना चाहिए। उसी दिन मजिस्ट्रेट के सामने उसका बयान रिकार्ड किया गया, जिसमें उसने बलात्कार की बात कही है। उसी दिन उसका फोरेंसिक टेस्ट कराया गया।
दरअसल 14 सितंबर को पीड़िता को जिस समय अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उसने उस समय बलात्कार की बात नहीं कही थी, उसने 22 सितंबर को मृत्यु के पहले के अपने बयान में कहा कि उसके साथ बलात्कार हुआ था।
मेडिकल रिपोर्ट के सेक्शन 16 में कहा गया है कि बलात्कार की घटना के दौरान पीड़िता के ‘वजाइना का पेनिस पेनीट्रेशन’ हुआ था। अगले पैराग्राफ में डॉक्टरों ने लिखा था कि यह पेनीट्रेशन पूरा यानी कंप्लीट था।
इसके बाद मेडिकल रिपोर्ट में सब सेक्शन हैं कि क्या वीर्य निकला था, क्या हमलावर ने कंडोम का इस्तेमाल किया था और कंडोम की स्थिति कैसी थी। इसके जवाब में लिखा था कि-पता नहीं।
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इसके बाद का सब सेक्शन है कि क्या उस दौरान किसी हथियार का इस्तेमाल किया गया था, इसका उत्तर है, ‘नहीं’, लेकिन पीडि़ता का मुंह बंद कर दिया गया था। इस रिपोर्ट में बलात्कार के चार अभियुक्तों के नाम भी दर्ज हैं।
क्या कहा था यूपी पुलिस ने?
हाथरस मामले में दो दिन पहले उत्तर प्रदेश एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा था कि पीड़िता का बलात्कार नहीं हुआ था। उन्होंने दो वजह बताई थी। पहली फोरेंसिक रिपोर्ट में शुक्राणु या अंडाणु नहीं मिला है और दूसरी पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण गर्दन में आई चोट है।
प्रशांत कुमार ने ये भी कहा था कि बलात्कार नहीं हुआ है, लेकिन कुछ लोग जातीय तनाव बढ़ाने के लिए ऐसा कह रहे हैं। उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी।
क्यों नहीं मिला शुक्राणु?
शुक्राणु क्यों नहीं पाया गया इसकी वजह बिल्कुल साफ है। पीड़िता के साथ कथित बलात्कार 14 सितंबर को हुआ था और फोरेंसिक रिपोर्ट 22 सितंबर को तैयार की गई थी। उसी दिन वैजाइनल स्वॉब, यानी योनि के अंदर का नमूना लिया गया था।
लेकिन पुलिस इसे स्वीकार करने के बजाय इसका बहाना बना कर बलात्कार से ही इनकार कर रही है।
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जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के डॉक्टर हमजा मलिक ने कहा है कि-‘शुक्राणु पाए जाने की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि इसका जीवन चक्र 2-3 दिन का ही होता है। यदि 72 घंटे के अंदर नमूना लिया गया हो और वह भी तब जब पीड़िता ने स्नान नहीं किया हो उसी स्थिति में यह स्वॉब वैध होता है।’
साथ में डॉक्टर हमजा मलिक ने यह भी कहा है कि बलात्कार के लिए वीर्य का स्खलन जरूरी नहीं होता है।
इनके अलावा एएमयू अस्पताल के फोरेंसिक विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर असरार-उल-हक ने भी कहा है कि ‘चूंकि शुक्राणु का जीवन चक्र 2-3 दिन का ही होता है, फोरेंसिक रिपोर्ट में उसके पाए जाने की कोई संभावना नहीं है।’
मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल लाए जाने के पहले ही पीड़िता ने शरीर धोया था, कपड़े बदले थे और साफ व दूसरे कपड़े पहने थे। उसने अपना अंडरवेयर भी बदल लिया था।
क्लीन चिट नहीं
अब जब इस मुद्दे पर विवाद बढ़ गया है तो एडीजी प्रशांत कुमार का रवैया भी बदल गया है। उन्होंने ‘द वायर’ से कहा कि उन्होंने तो सिर्फ फोरेंसिक रिपोर्ट की जानकारी दी थी, वे कौन होते हैं किसी को क्लीन चिट देने वाले।
वहीं कानून के जानकारों का कहना है कि मृत्यु के पहले के बयान में पीड़िता का यह कहना ही काफी है कि उसके साथ बलात्कार हुआ था।
इस रिपोर्ट के बाद पुलिस की भूमिका पर एक बार फिर सवाल उठ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अजय सिंह कहते हैं कि ‘एफ एसएल रिपोर्ट के आधार पर बलात्कार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।’
वह कहते हैं कि पुलिस को तो यह साबित करने की कोशिश करनी चाहिए थी कि बलात्कार हुआ था, उसके उलट पुलिस यह साबित करने पर तुली हुई है कि बलात्कार नहीं हुआ था।