प्रमुख संवाददाता
नई दिल्ली. दिल्ली बार्डर पर जमे किसानों के साथ केन्द्र सरकार की पांच दौर की बातचीत के बाद केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कल रात तेरह संगठनों के किसान नेताओं को बुलाकर विचार विमर्श किया. आन्दोलन टालने को लेकर किसान राजी नहीं हुए तो सरकार की तरफ से किसानों को सरकार ने जो प्रस्ताव भेजे उन्हें भी किसानों ने मानने से इनकार कर दिया है.
केन्द्र सरकार ने व्यापारी के पंजीकरण की व्यवस्था न करके मात्र पैन कार्ड के आधार पर किसान की फसल खरीद की व्यवस्था बनाई थी जिसे किसान ने धोखा होने की आशंका बताकर रद्द कर दिया. किसानों की आशंका के मद्देनज़र केन्द्र ने कहा है कि किसानों की शंका के समाधान के लिए राज्य सरकारों को इस प्रकार के पंजीकरण के लिए नियम बनाने की शक्ति प्रदान की जा सकती है जिससे स्थानीय परिस्थतियों के अनुसार राज्य सरकारें किसानों के हित में नियम बना सकें.
किसानों ने सरकार के सामने यह आशंका रखी कि जिस तरह के हालात बनाए जा रहे हैं उसमें किसानों की ज़मीनों पर बड़े उद्योगपति कब्ज़ा कर लेंगे और किसान भूमि से वंचित हो जाएगा. किसानों की इस शंका के जवाब में केन्द्र सरकार ने यह प्रस्ताव दिया है कि किसान की भूमि पर बने जाने वाली संरचना पर खरीददार किसी भी प्रकार का ऋण नहीं ले पायेगा, न ही ऐसी संरचना उसके द्वारा बंधक ही रखी जा सकेगी.
किसानों ने सरकार के सामने यह शंका भी रखी कि किसान को विवाद के समाधान के लिए सिविल न्यायालय में जाने का विकल्प नहीं दिया गया है. इससे किसानों को न्याय न मिलने की आशंका है. इस आशंका पर सरकार ने प्रस्ताव दिया कि शंका समाधान के लिए विवाद निराकरण की नए कानूनों में प्रावधानित व्यवस्था के अतिरिक्त सिविल न्यायालय में जाने का विकल्प भी दिया जा सकता है.
यह भी पढ़ें : किसान आन्दोलन के वो कदम जो सरकार की मुश्किलें बढ़ाएंगे
यह भी पढ़ें : किसान आन्दोलन से आसमान छुएंगे इन चीज़ों के दाम
यह भी पढ़ें : बीमार किसानों की मदद को आये चलते-फिरते अस्पताल
यह भी पढ़ें : क्या सरकार के लिए चुनौती बन सकते हैं बार्डर पर मौजूद किसानों के घोड़े
किसानों ने सरकार से कहा कि कृषि अनुबंधों के पंजीकरण की व्यवस्था नहीं है. इस शंका के जवाब में सरकार ने प्रस्ताव किया है कि जब तक राज्य सरकारें रजिस्ट्रीकरण की व्यवस्था नहीं बंटी है तब तक सभी लिखित करारों की एक प्रतिलिपि करार पर हस्ताक्षर होने के 30 दिन के भीतर सम्बंधित एसडीएम कार्यालय में उपलब्ध कराने के लिए उपयुक्त व्यवस्था की जायेगी.
केन्द्र सरकार के प्रस्ताव जिन्हें किसानों ने ठुकराते हुए कहा कि पूरे क़ानून की वापसी बगैर आन्दोलन खत्म नहीं होगा.
केन्द्र सरकार ने किसानों को जो प्रस्ताव दिए हैं उसके मुताबिक़ राज्य सरकार चाहे तो प्राइवेट मंडियों पर शुल्क/ फीस लगा सकती है.
केन्द्र ने कहा है कि राज्य सरकार चाहे तो मंडी व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर सकती है.
सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया है कि उन्हें कोर्ट कचहरी जाने का विकल्प भी दिया जाएगा.
सरकार ने आश्वस्त किया है कि किसान की कुर्की नहीं होगी.
सरकार ने आश्वस्त किया है कि एमएसपी की वर्तमान खरीद व्यवस्था के सम्बन्ध में सरकार लिखित आश्वासन देगी.