जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. तुर्की का मशहूर हागिया सोफिया संग्रहालय अब मस्जिद के रूप में पहचाना जाएगा. यह फैसला राष्ट्रपति रेचप एर्ड़ोगन ने सुनाया है. उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान यह वादा किया था कि अगर वह जीत गए तो इस संग्रहालय को मस्जिद मे बदल देंगे. इस्तांबुल शहर में बना यह संग्रहालय पहले भी मस्जिद रह चुका है. यह खूबसूरत इमारत सन 537 में बनाई गई थी और तब इसे चर्च के रूप में तैयार किया गया था. बाईजेंटाइन साम्राज्य के राजा जस्टिनियन ने इस इमारत का निर्माण कराया था.
अपने दौर की पहचान कराती यह इमारत निर्माण कला का अद्भुत उदाहरण है. 537 से 1453 तक यह इमारत चर्च के रूप में ही रही. 1453 में जब इस्तांबुल पर इस्लामी ऑटोमन साम्राज्य स्थापित हुआ तो इस शानदार इमारत में बदलाव कर इसे मस्जिद में बदल दिया गया. 1930 तक यह इमारत मस्जिद ही रही.
1930 में कमाल अता तुर्क ने देश की कमान संभाली तो उन्होंने तुर्की को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में विकसित करने का फैसला किया. उन्होंने 1935 इस मस्जिद को संग्रहालय में बदल दिया ताकि किसी भी नागरिक की भावनाओं को ठेस न पहुंचे.
संग्रहालय बन जाने के बाद यह इमारत पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन गई. न यह इमारत मस्जिद रह गई न चर्च. इमारत को लेकर सारे विवाद खत्म हो गए लेकिन पूरे देश में लगातार इस इमारत को फिर से मस्जिद बनाए जाने को लेकर मांग उठती रही. मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया.
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हागिया संग्रहालय को फिर से मस्जिद बना दिया गया है लेकिन यूनेस्को ने तुर्की के इस फैसले को लेकर उसे चेतावनी दी है. यूनेस्को ने कहा है कि यह डेढ़ हज़ार साल पुरानी इमारत है. इसे विश्व विरासत स्थल का दर्जा हासिल है. यूनेस्को ने कहा है कि सरकार को यह तय करना होगा कि विश्व धरोहर समिति यह तय कर ले कि कहीं इससे सार्वभौमिक मूल्य तो प्रभावित नहीं हो रहे हैं.