जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. दस साल पहले मेरठ छोड़कर जर्मनी में अपना भविष्य बनाने गए गौरव चौधरी ने वहां अपना बिजनेस जमा लिया था. इधर अचानक उनके दिमाग में आया चलो अब अपने मेरठ में ही कुछ किया जाए. वापस लौटे तो यहाँ किस्मत कुछ और ही कराने को तैयार बैठी थी.
पंचायत चुनाव से कुछ दिन पहले मेरठ लौटे गौरव चौधरी गाँव के लोगों की मदद करने में लग गए. चुनाव की गहमागहमी शुरू हुई तो गौरव ने बीजेपी से जिला पंचायत सदस्य के टिकट की दावेदारी पेश कर दी. लोगों के तमाम विरोध के बावजूद उन्हें टिकट मिल गया. वह चुनाव लड़े और जीत भी गए.
जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद उन्होंने कहा कि अब जनता की सेवा करेंगे लेकिन किस्मत ने उनके लिए इससे भी ज्यादा सोच रखा था. मेरठ में बीजेपी के पांच सदस्य चुनाव जीते थे. उनसे जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए नामांकन कराया गया और शनिवार को वह निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो गए.
गौरव चौधरी बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद जर्मनी शिफ्ट हुए थे. जर्मनी में उन्होंने इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट और कंस्ट्रक्शन का बिजनेस जमा लिया था. जर्मनी में काम-धंधा जम जाने के बाद अपने देश वापस लौटे 33 साल के गौरव में लोगों को अपने शहर के लिए कुछ करने का जज्बा नज़र आया. यही वजह है कि चुनाव में उन्हें भरपूर सहयोग मिला गौरव की वजह से मेरठ का पंचायत चुनाव अलग ही चमक-दमक वाला बन गया.
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को अपना आदर्श मानने वाले गौरव को लगता है कि मोदी की वजह से विश्व में भारत का डंका बजने लगा. वह कहते हैं कि जर्मनी में रहते हुए भी मैं कभी अपने गाँव को नहीं भूला. मैं हर साल मेरठ आता था और मन में हमेशा यही रहता था कि खूब पैसा कमा लूँगा फिर अपने गाँव के लिए कुछ करुंगा. इसी वजह से उन्होंने अपने दादा चौधरी भीम सिंह के नाम पर एक ट्रस्ट बनाया था. यह ट्रस्ट ज़रूरतमंद बच्चो की मदद करता है.
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जर्मनी में रहते हुए भी अपने गाँव के बारे में सोचते रहने और गाँव के बच्चो के लिए किये जा रहे उनके काम की वजह से ही दस साल से देश से दूर रह रहे गौरव को पहले ही चुनाव में जनता ने जिला पंचायत का सदस्य चुन लिया और किस्मत इतनी मेहरबान हुई कि वह जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए. जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने गरीब युवाओं के रोज़गार के लिए हर संभव उपाय करने की बात कही है.