जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस को इस दुनिया में आए दो साल से अधिक समय हो चुका है और इस दौरान इससे मुक्ति पाने के लिए न जाने कितने जतन भी किए गए लेकिन अब तक यह हमारे बीच बना हुआ है।
जब कोरोना आया था तब कहा गया था कि इसकी वैक्सीन ही कोरोना वायरस से निजात दिला सकती है लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। कई देशों में तो कोरोना वैक्सीन का चौथा डोज देने की तैयारी चल रही है।
कुल मिलाकर अब तक यही देखने को मिला है कि कोरोना वैक्सीन लगवा चुके लोग भी कोरोना से नहीं बच पाये। हां, इसमें यह जरूर देखने को मिला कि जिन लोगों ने वैक्सीन की डोज ली थी उनके लिए कोरोना कम घातक साबित हुआ।
इसी को लेकर एक अध्ययन आया है जिसमें कहा गया है कि जिन लोगों को कोविड हो चुका है और जो वैक्सीन लगवा चुके हैं वे कोरोना व अन्य वायरसों से अधिक सुरक्षित हैं।
चीन के शंघाई में तालाबंदी के कारण कोरोना वायरस को लेकर एक बार चिंताएं फिर बढ़ रही हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘मिश्रित प्रतिरोध क्षमता’ वाले लोगों को कोरोना वायरस का असर होने का खतरा उन लोगों के मुकाबले कम है, जिन्हें पहले कोरोना नहीं हुआ है।
मिश्रित प्रतिरोध क्षमता से वैज्ञानिकों का आशय उस इम्युनिटी से है जो कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लगवाने और कोरोना संक्रमण हो जाने बाद शरीर द्वारा खुद तैयार करने से मिलती है।
मालूम हो कि दो साल में कोरोना महामारी से दुनियाभर में 61 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है जबकि 50 करोड़ से अधिक लोग इस बीमारी से कम से कम एक बार ग्रस्त हो चुके हैं।
अब तक अरबों लोगों को कोरोना वैक्सीन की खुराक मिल चुकी है। इसी बारे में प्रकाशित दो अध्ययनों में वैक्सीन की अहमियत पर और जोर दिया गया है।
मेडिकल जर्नल द लांसेट इंफेक्शियस डिजीज में छपे एक अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने 2020 और 2021 में ब्राजील के दो लाख लोगों के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों का अध्ययन किया। ब्राजील में कोरोना से अमेरिका के बाद दुनिया में सर्वाधिक मौतें हुई हैं।
अपने अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों को पहले ही कोरोना हो चुका था उन्हें फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ने कोविड के कारण अस्पताल जाने या मौत से बचाने में 90 प्रतिशत तक प्रतिरोध क्षमता दी।
चीन की कोरोनावैक के लिए यह आंकड़ा 81 प्रतिशत था और जॉनसन एंड जॉनसन की एक ही टीके वाली खुराक के लिए 58 फीसदी।
फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ मातो ग्रोसो के शोधकर्ता हूलियो क्रोडा कहते हैं, “इन चारों वैक्सीन ने कोरोना के प्रति उन लोगों को अतिरिक्त सुरक्षा दी जिन्हें पहले कोविड हो चुका था।”
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इस अध्ययन पर टिप्पणी करते हुए भारत के ‘ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट’ के प्रमोद कुमार गर्ग कहते हैं कि कुदरती तौर पर कोविड से पैदा हुई शारीरिक क्षमता और वैक्सीन से मिली इम्युनिटी के कारण बनी मिश्रित प्रतिरोध क्षमता ही इस वायरस से लंबी अवधि में बचाने में तो काम आएगी ही, अन्य उभरते वायरसों से भी सुरक्षा देगी।
इसी प्रकार का एक और स्टडी स्वीडन में हुआ है जहां अक्टूबर 2021 तक देश में कोरोना के मरीजों के आंकड़ों पर स्टडी किया गया।
इस स्टडी में पता चला कि जो लोग कोरोना संक्रमण से ठीक हो गए थे उनके अंदर कोरोना के प्रति अगले 20 महीने तक अधिक बचाव क्षमता थी। जिन लोगों में दो वैक्सीन खुराकों के कारण हाईब्रिड इम्युनिटी पैदा हो चुकी थी उन्हें दोबारा संक्रमण होने का खतरा 66 फीसदी तक कम था।
ओमिक्रॉन पर कितना असर?
इंग्लैंड की ईस्ट एंगेलिया यूनिवर्सिटी में मेडिसिन के प्रो. पॉल हंटर कहते हैं कि 20 महीने की सुरक्षा अच्छी-खासी है। प्रो. हंटर इस स्टडी में शामिल नहीं थे।
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उन्होंने कहा, “कुदरती तौर पर 20 महीने की इम्युनिटी तो उससे कहीं बेहतर है जिसकी हमने दो खुराकों से उम्मीद लगाई थी।”
हालांकि प्रो. हंटर ने स्पष्ट किया कि दोनों ही अध्ययन ओमिक्रॉन वेरिएंटके आने से पहले किए गए थे और इस नए वेरिएंट ने “पिछले वायरस से मिली सुरक्षा में खासी कमी कर दी है।”