जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. सुशांत सिंह राजपूत ने अपनी शानदार अभिनय क्षमता के बल पर जहाँ देश भर में लोगों के दिलों में जगह बनाई थी वही सुशांत अपनी मौत के बाद विवाद का ऐसा मुद्दा बन गए हैं कि उन्हें विलेन बना दिया गया है.
सुशांत की मौत सुसाइड थी या मर्डर इस मुद्दे से शुरू हुई बहस अपने हर पड़ाव पर शक्ल बदलती चली गई. जांच शुरू हुई. फ़िल्मी दुनिया के नामचीन चेहरों को बुलाकर पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ. सुशांत के एकाउंट से गायब हुए करोड़ों रुपये का मुद्दा तो गायब हो गया लेकिन सुशांत को ड्रग एडिक्ट बता दिया गया.
महाराष्ट्र में सत्ता की कमान संभालने वाली शिवसेना पर सुशांत की मौत के मामले में दोषियों को बचाने का आरोप है. सुशांत सिंह राजपूत को लेकर शिवसेना ने अपने अखबार सामना में एक आपत्तिजनक लेख प्रकाशित किया है. इस लेख में सुशांत को चरित्रहीन बताया गया है.
सामना में छपा है कि सुशांत चरित्रहीन कलाकार था. वह विफलता की निराशा से ग्रस्त था. जीवन में विफलता आई तो वह खुद को संभाल नहीं पाया और मादक पदार्थों का सेवन करने लगा. फिर भी उसका मन शांत नहीं हुआ तो उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी.
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सामना ने लिखा है कि बिहार चुनाव में नीतीश के पास क्योंकि कोई मुद्दा नहीं था इसलिए उसने सुशांत को मुद्दा बनाने के लिए बिहार पुलिस को जांच के नाम पर महाराष्ट्र भेज दिया. महाराष्ट्र सरकार ने बिहार पुलिस को छूट दे दी होती तो सुशांत और उसके परिवार की खूब बेइज्जती हुई होती.
सामना ने लिखा है कि महाराष्ट्र में कई गुप्तेश्वर आये और चले गए लेकिन मुम्बई पुलिस का झंडा लहराता रहा. इस लेख में लिखा गया है कि मौत के बाद अगर केस चलाने की छूट होती तो सुशांत सिंह राजपूत के खिलाफ मादक पदार्थों के सेवन का मुकदमा चलाया होता.