जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने गंगा में 15 लाख मछलियाँ छोड़ने का फैसला किया है. इसके लिए रोहू, कतला और मृगला नस्ल की मछलियों के 70 एमएम के बच्चे तैयार किये गए हैं. यह मछलियाँ गंगा में उन कारकों को नष्ट करेंगी जिनकी वजह से नाइट्रोजन की अधिकता बढ़ रही है.
सरकार ने मत्स्य विभाग को उत्तर प्रदेश के एक दर्जन जिलों में गंगा में मछलियों को छोड़ने का ज़िम्मा सौंपा है. वाराणसी, गाजीपुर, मिर्ज़ापुर, कौशाम्बी, प्रयागराज, प्रतापगढ़, हरदोई, कानपुर,बहराइच, बुलंदशहर, बिजनौर और अमरोहा वह जिले हैं जहाँ 15 लाख मछलियों के बच्चे गंगा में छोड़े जायेंगे. नमामि गंगे योजना के तहत सरकार गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कई कदम उठा रही है. गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए गंगा में मल इत्यादि को जाने से रोकने के प्रबंध भी किये जा रहे हैं.
गंगा नदी से लगातार मछलियाँ पकड़े जाने की वजह से गंगा में अब सिर्फ बीस फीसदी मछलियाँ ही बाकी बची हैं. नदी में मछली ही वह जीव है जो नाइट्रोजन की अधिकता को रोकती हैं. मछलियों की वजह से नदी की गंदगी भी खत्म होती है और नदी निर्मल बनती है. नदियों में लगातार नाइट्रोजन गिरता है जिसकी वजह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है.
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एक तरफ प्रदूषण बढ़ने के कारक बढ़ते जा रहे हैं तो दूसरी तरफ मछलियों का शिकार बढ़ता जा रहा है. इसी वजह से सरकार ने गंगा नदी में 15 लाख मछलियाँ छोड़ने का फैसला किया है. गंगा में प्रदूषण कम होगा तो मछलियों का प्रजनन भी बढ़ेगा. इन्हीं मछलियों के ज़रिये गंगा एक बार फिर निर्मल और अविरल बन जायेगी.