प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. हाईकोर्ट के पास दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग्स बनाते कलाकार सड़क पर गुजरने वालों के आकर्षण का केन्द्र बन गए. यह कलाकार पेंटिंग भी बना रहे थे और हैशतैग्स के साथ समाज को सन्देश भी देते जा रहे थे. महिला अधिकारों और महिला सशक्तिकरण का सन्देश देती इन तस्वीरों ने बनो नई सोच, मर्जी बिना शादी नहीं, बराबरी ज़रूरी है और फाइट इन इक्वलिटी का बहुत शानदार सन्देश दे दिया.
हाईकोर्ट के आसपास शानदार तस्वीरें बनाने वाले कलाकारों में लखनऊ विश्वविद्यालय और आर्ट्स के विद्यार्थियों का समूह भी शामिल था. इन कलाकारों ने लोगों के बीच पर्चे भी बांटे. बांटे गए इन पर्चों में कलाकारों ने क़ानून द्वारा लड़कियों की शादी की उम्र बढाए जाने के मुद्दे पर कहा कि बेहतर होगा कि पहले से बने कानूनों का ठीक से पालन हो जाए.
लड़कियों को दहेज़ के मामले में सुरक्षा मिल जाए. शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य का अधिकार हासिल हो जाए. पुराने क़ानून ही ठीक से लागू हो जाएँ तो लड़कियां खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें. क़ानून सही से लागू हो जाएँ तो लड़कियां अपनी ज़िन्दगी को बेहतर तरीके से जी सकें.
आक्सफैम इंडिया, दस्तक और शीरोज़ द्वारा शुरू किये गए इस अभियान में शिवानिका, प्रज्ञा, वीना, प्रियांशी, हामना, अंशय और विवेक ने सामाजिक मुद्दों पर किताबों से बाहर निकलकर असल ज़िन्दगी को दीवारों पर रंगों के सहारे पेंट कर दिया. दीवारों पर बनी यह पेंटिंग महीनों और सालों तक यह सन्देश देती रहेंगी की लड़कियों को भी बराबरी का हक़ मिलना चाहिए.
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इन कलाकारों ने युवाओं के साथ हस्ताक्षर अभियान चलाया, उनसे संवाद किया, फिल्म स्क्रीनिंग जैसी गतिविधियों के ज़रिये जेंडर बराबरी और महिला सशक्तिकरण का सन्देश दिया. यह अभियान 16 दिन तक जारी रहने वाला है. इसी कड़ी में शीरोज़ कैफे में 25 नवम्बर से महिला हिंसा के खिलाफ पोस्टर, फोटो और कविता प्रदर्शनी “बोल” चलाई जा रही है. उपासना त्रिपाठी ने बताया कि 10 दिसम्बर यानी मानवाधिकार दिवस तक यह रचनात्मक सिलसिला जारी रहेगा.