Saturday - 26 October 2024 - 10:18 AM

कोरोना जांच के पीछे का ये हैं सच

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर इतनी खतरनाक है कि आप सोच भी नहीं सकते है। पिछली बार की तुलना में चार गुना ज्यादा केस सामने आ रहा है। ऐसा में जनता में खौफ का माहौल है।

स्वास्थ्य विभाग काफी टेंशन में है। कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान 31 संस्थानों और अस्पतालों को कोविड अस्पताल में बदला गया था। हालांकि अभी तक स्वास्थ्य विभाग की कोशिशें रंग नहीं ला रही है।

आलम तो ये है कि अभी तक सिर्फ 22 कोविड अस्पताल शुरू किए जा सके हैं। इतना ही नहीं अस्पतालों में पिछली बार जितने बेड भी चालू नहीं हो पाए हैं। वहीं कोरोना की जांच रिपोर्ट में भी बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है।

नंबर किसी का , रिपोर्ट दूसरे की … जी हां यही सच है। दरअसल लॉन्ग इन में 20 -20 अंजान लोगों की रिपोर्ट दिखती है। इसके साथ अपनों की रिपोर्ट की कोई जानकारी नहीं मिल रही है।

बताया जा रहा है कि ऑनलाइन रिपोर्ट चेक करने पर भारी गड़बड़ी देखने को मिल रही है। जरूरी बात ये है कि पोर्टल पर लोगों के मोबाइल नंबर पर किसी और की रिपोर्ट अपलोड की जा रही है। आलम तो यह है एक नंबर पर 40 लोगों की रिपोर्ट्स को अपलोड कर दी जा रही है।

नवभारत टाइम्स में छपी ख़बर की माने तो ऐशबाग निवासी राजेश सिंह ने छह अप्रैल को वाइफ , बेटे और कुछ लोगो का कोरोना के लिए सैंपल दिया था लेकिन उनके फ़ोन पर 40 लोगों की रिपोर्ट्स को अपलोड कर दी जा गई है।

आइसोलेशन के लिए बेड मिलना मुश्किल

दूसरी ओर आइसोलेशन के लिए बेड मिलना मुश्किल हो रहा है। एसिक, वेगा, चरक, मैकवेल, अपोलो, जेपी हॉस्पिटल के साथ आनंदी वॉटर पार्क और हज हाउस में भी आइसोलेशन बेड की सुविधा थी लेकिन इस बार हालात बेहद ख़राब है।

निजी अस्पतालों में सिर्फ 84 वेंटिलेटर की सुविधा है। इस वजह से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक 12 निजी कोविड अस्पतालों में महज 84 वेंटिलेटर मौजूद हैं।

 

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