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डंके की चोट पर : यह जनता का फैसला है बाबू, यकीन मानो रुझान आने लगे हैं

शबाहत हुसैन विजेता

प्रतापगढ़ में बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता को भीड़ ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा. तो देश में इस तरह से हंगामा खड़ा हो गया है जैसे कि कोई आश्चर्यजनक घटना हो गई है. सांसद तो एक महीना पहले भी पीटे गए थे. राज्यसभा की घटना देश भूल थोड़े ही गया है. फर्क इतना है कि तब पिटने वाले विपक्ष के सांसद थे और पिटाई कराने वाली सरकार थी.

दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने बीजेपी के कुल जमा तीन विधायकों के विरोध को भी बर्दाश्त नहीं किया था. तीनों विधायकों को मार्शल ने पीटते हुए सदन से निकालकर सड़क पर फेंक दिया था.

सिर्फ छह महीने पहले की बात है. बिहार में विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को बंधक बना लिया था. उनके साथ बाकायदा धक्का-मुक्की की गई थी. बिहार विधानसभा में 21 जुलाई 2010 को विपक्ष के विधायकों को सरकार के इशारे पर मार्शल सदन से खींचकर बाहर फेंक रहे थे. जिस वक्त विधायकों को बेइज़्ज़्ती के साथ घसीटते हुए सदन से निकाला जा रहा था उस वक्त एक विधायक ने विधानसभा अध्यक्ष को चप्पल मारी थी. इस घटना के बाद 67 विधायक सस्पेंड किये गए थे.

23 मार्च 2021 को नीतीश कुमार की सरकार ने विपक्ष के विधायकों को पुलिस की लाठियों से पिटवाया था. विधायकों को सदन से पीटते हुए निकाला गया था. महिला विधायक की साड़ी उतार दी गई थी, उन्हें बाल पकड़कर खींचते हुए पुलिस सड़क पर घसीटती नज़र आयी थी.

जो प्रतापगढ़ में हुआ है हकीकत में यह क्रिया की प्रतिक्रिया है. सत्ता में बैठकर जो बेअंदाज़ होता है उसका यही नतीजा होता है. जनता के वोटों से राजा नहीं लोकसेवक चुना जाता है, लोकसेवक जब जनता का मालिक बन जाता है तब उसका यही हश्र होता है.

पिछले कुछ सालों में जनप्रतिनिधियों ने जो तानाशाही दिखाई है यह उसका नतीजा है. जनता ने प्रतापगढ़ में सिर्फ यह बताया है कि सुधर जाओ. यह ट्रेलर है. इस तरह की घटनाएं आगे बढ़ जाएं तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए, जनता के सब्र का घड़ा भर चुका है.

मंत्रियों ने खुद को भगवान समझ लिया है. प्याज महंगी होती है तो वित्तमंत्री मुस्कुराकर कहती हैं कि मैं तो प्याज नहीं खाती. गोरखपुर में इन्सेफ़ेलाइटिस फैलता है और बड़ी संख्या में बच्चो की मौत हो जाती है तो उत्तर प्रदेश का मंत्री बड़ी बेशर्मी से बोलता है कि अगस्त में बच्चे ज्यादा मरते हैं. बच्चे क्योंकि आम आदमी के मरते हैं इसलिए मंत्री की बेशर्मी नज़र आती है उसका खुद का बच्चा मर जाता तो अस्पताल सर पर उठा लेता.

परिवहन मंत्री से पत्रकार टोल प्लाजा को फ्री करने की मांग करते हैं तो परिवहन मंत्री इतने बेहूदे तरीके से बोलता है कि फ़ोकट में किसी को अच्छी सड़क पर चलने को नहीं मिलेगा जैसे कि वह सड़कों का मालिक हो और खुद भी पैसा देकर टोल को पार करता हो.

जिन मंत्रियों पर 56-56 मुकदमे हैं वह क़ानून का राज स्थापित करने की बात करते हैं. हमारी सरकार में दंगे नहीं होते की घोषणा करने वाली सरकार अपने विधायकों, सांसदों और विधायकों के मुंह तक बंद नहीं करवा पाती. उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से बीजेपी के विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने मंच से कहा कि किसी माई के लाल में दम हो तो मोहर्रम में ताजिये दफ्न करके दिखाए. इसका वीडियो वायरल हुआ. इसमें विधायक यह कहता सुनाई दे रहा है कि मैं विधानसभा में रहूँगा. अगर ताजिया दफ्न होता दिखे तो मुझे फोन कर देना, मैं फ़ौरन आ जाऊँगा. यह इसी साल 18 अगस्त की बात है. सरकार के मुंह में आज तक दही जमा हुआ है.

ऐसे विधायकों और सांसदों को जनता सड़क पर पीटने लग जाए तो बुरा मानने की क्या बात है. लोकतंत्र ने जनता को सर्वोच्च बनाया है लेकिन संविधान की धज्जियां उड़ाने वाले चुनाव जीत जाते हैं तो जनता उन्हें मक्खी-मच्छर लगने लगती है.

राहुल गांधी ने बहुत पहले ही चेताया था कि सरकार अपनी हरकतें नहीं सुधारती है तो उसे अपनी पीठ मज़बूत कर लेनी चाहिए. जनता डंडों से मारेगी. राहुल तो पप्पू हैं ना. बस मसखरी में उड़ा दी गई चेतावनी, प्रधानमन्त्री ने सदन में कहा कि मैं अपनी पीठ मज़बूत करुंगा. देखिये प्रतापगढ़ में रुझान आने लगे हैं. यही रुझान जनता के सब्र की इन्तहा को दर्शाते हैं. घमंड अब भी न टूटा तो जनता के सब्र का घड़ा भी फूट जाएगा.

बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है. लगातार नौकरियां जा रही हैं. सरकार कहती है कि बेरोजगारी की दर कम कर दी. लोगों की आमदनी आधी हो गई सरकार कहती है कि दूनी कर दी. किसान दस महीने से आन्दोलन कर रहा है, सरकार कहती है कि किसानों के कर्जे माफ़ कर दिए, उन्हें इतना दे दिया कि किसी ने नहीं दिया.

जिस देश की संस्कृति गंगा जमुनी संस्कृति कहलाती है वहां की हवा में नफरत का ज़हर घोल दिया. सोशल मीडिया के ज़रिये हिन्दू-मुसलमान के बीच दीवार खड़ी कर दी. आईटी सेल के ज़रिये नफरत लगातार बढ़ती जा रही है. सोशल मीडिया पर की जा रही टिप्पड़ियों की वजह से लोगों के व्यक्तिगत सम्बन्ध बिगड़ने लगे हैं. कई जगह मारपीट और कुछ जगहों से हत्या तक की खबरें मिलती हैं.

आमदनी घट जाने से लोगों को अपना किचेन मैनेज करना मुश्किल हो रहा है और भूखे पेट घर से निकलने वाले को चौराहों पर होर्डिंग दिख रहे हैं कि सरकार इतने करोड़ लोगों का पेट भर रही है. हर दस कदम पर लिखा है थैंक्यू मोदी जी.

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अपने घमंड के ज़रिये हुकूमत जो हालात बना रही है उसे समझना होगा कि जनता को भीख में भोजन की नहीं उसके हाथों को काम की ज़रूरत है. काम करने वाले को आधे नहीं पूरे वेतन की ज़रूरत है ताकि वह अपनी ज़रूरतें पूरी कर सके. जनता बेरोजगार घूमेगी तो अब जिन्दाबाद-मुर्दाबाद नहीं चिल्लायेगी. जनता इस घमंड को तोड़ने के लिए बड़ी बेकरारी से इंतज़ार कर रही है. यकीन मानिए सरकार प्रतापगढ़ में जो हुआ, वही सबसे बड़ी हकीकत है. यह जनता का फैसला है, आप मान सकते हैं कि रुझान आने लगे हैं.

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