जुबिली स्पेशल डेस्क
मुंबई। कहते हैं कि राजनीति में अगर-मगर नहीं चलता है। इसके साथ राजनीति में फैसले वक्त-वक्त पर बदलते रहते हैं। सत्ता में रहने के लिए राजनीतिक दल समय-समय पर पाला बदलते रहते हैं। नीतीश कुमार इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
वहीं महाराष्ट्र की राजनीति में गजब का खेल हो गया है। चुनावी नतीजे आने के काफी दिनों बाद वहां पर नई सरकार का गठन हो सका।
शिवसेना (शिंदे गुट) और बीजेपी के इस गठजोड़ सलामत है और सरकार बन गई लेकिन अंतर सिर्फ इस बार है कि सीएम का फेस इस बार बदल गया और कल तक शिंदे सीएम हुआ करते थे उनका अब डिमोशन कर दिया गया और नई सरकार में उनको उपमुख्यमंत्री बनने पर मजबूर होना पड़ा है। दअरसल सत्ता की राजनीति में मजबूरियों के चलते शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनने पर मजबूर होना पड़ा।
वहीं पिछली सरकार में डिप्टी सीएम रहने वाले देवेंद्र फडणवीस नई सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और सीएम पद की शपथ ली है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो एकनाथ शिंदे के सामने बीजेपी की शर्तें मानने के अलावा कोई चारा नहीं था। बीजेपी इस बार के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है और अगर शिंदे अलग होते तो इसके बावजूद उसकी सरकार बन जाती है।
शिंदे को ये भी डर सता रहा था कि अगर अलग होते तो राजनीति हाशिये पर चले जाते हैं। इस वजह से उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी के लिए हां कर दी।
उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं बचा था। इसके अलावा संगठन को चलाने के लिए पावर की जरूरत होती है और इस वजह सत्ता में रहना उनके संगठन के लिए बेहद जरूरी है। इस वजह से वे बीजेपी के साथ बने रहें और डिप्टी सीएम पद स्वीकार करना उनकी मजबूरी थी।
बता दे कि महाराष्ट्र में पिछले कई दिनों से चल रही सियासी ड्रॉमा आखिरकार शुक्रवार को थम गया और महायुति गठबंधन की नई सरकार का गठन हो गया है।
इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का नया सीएम बनाया है जबकि शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और एनसीपी प्रमुख अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाया है। महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।