जुबिली स्पेशल डेस्क
राज्यसभा चुनाव में जो ड्रामा देखने को मिला उससे जहां एक ओर बीजेपी को फायदा हुआ तो दूसरी तरफ यूपी में सपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा तो वहीं हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरते-गिरते बच गई।
हिमाचल प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान तब बड़ा खेल हो गया जब कांग्रेस के छह विधायकों ने बगावत कर डाली और क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया। उनके इस कदम से कांग्रेस के दिग्गज नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के राज्यसभा पहुंचने के सपने पर पूरी तरह से ग्रहण लग गया और वो चुनाव हार गए।
इसके बाद बीजेपी की जीत हुई लेकिन उसने असली नजर हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार बनाने पर लग गई थी। कल रात में जब राज्यसभा चुनाव खत्म हुए तो सुबह-सुबह होते-होते ये लग रहा था कि शाम तक हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार की विधायी हो जायेंगी लेकिन सुक्खू सरकार ने अपनी सरकार को बचाने के लिए एक ऐसी चाल चली कि बीजेपी ने सपने में भी नहीं सोचा था। इतना ही नहीं सुक्खू सरकार बच गई और फिलहाल उनकी सरकार पर खतरा नजर नहीं आ रहा है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने 17 फरवरी को जो बजट पेश किया था और उसे आज पास करवाना था लेकिन राज्यसभा चुनाव में हुए बड़े खेल की वजह से उनकी सरकार पर खतरा मंडराने लगा था। कांग्रेस के बागी विधायकों ने बीजेपी को एक सुनहरा मौका भी दे दिया था। ऐसे में बीजेपी ने तय कर लिया था कि बजट सत्र के दौरान ही कांग्रेस की सरकार को गिर देगी लेकिन हुआ इसका उलट। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने पहले बीजेपी के 15 विधायकों को सदन से सस्पेंड कर दिया।
उनका ये फैसला वैसा ही था जैसे कुछ दिन पहले लोकसभा में हंगामे के दौरान ओम बिड़ला ने और राज्यसभा में हंगामे के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्षी सांसदों को सस्पेंड किया था। इस तरह से विपक्ष के के 15 विधायक कम हो गए और बाकी बीेजेपी के विधायकों ने सदन का बॉयकॉट कर दिया।
इस तरह से सुक्खू सरकार ने बजट का पास भी कर लिया और सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस तरह से कांग्रेस की सरकार बच गई और बीजेपी का सपना भी फिलहाल सपना ही रह गया।