जुबिली स्पेशल डेस्क
किसान संगठनों ने एमएसपी के बारे में राय देने के लिए बनाई गई नई कमेटी को बड़ा छल करार दिया है। भारतीय किसान यूनियन ने कहा है कि केंद्र सरकार ने एमएसपी कमेटी का गठन एसकेएम के किसान संगठनों की बिना राय लिए किया है। और उसमें तीन काले कृषि कानूनों के घोर पक्षधर नौकरशाहों, किसान नेताओं को शामिल कर देश के किसानों से फिर छल किया है। भाकियू इस फर्जी एमएसपी कमेटी को सिरे से खारिज करती है।
इस बीच किसानों से जुड़े आईटी सेल ने भी अभी कुछ देर पहले तीन Tweet के जरिए इसको लेकर सरकार के छल का खुलासा किया है। किसान आई टी सेल ने एक प्रेस बयान के जरिए भी इस कमेटी को किसानों की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश करार दिया है। कहा गया है कि जिसका डर था वही हुआ। संयुक्त किसान मोर्चा ने शुरू से ही इस कमेटी को लेकर अपने संदेह सार्वजनिक किए हैं।
केंद्र सरकार ने एमएसपी कमेटी का गठन एसकेएम के किसान संगठनों की बिना राय लिए किया है। और उसमें तीन काले कृषि कानूनों के घोर पक्षधर नौकरशाहों, किसान नेताओं को शामिल कर देश के किसानों से फिर छल किया है।भाकियू इस फर्जी एमएसपी कमेटी को सिरे से खारिज करती है। @ANI @PTI_News @PMOIndia
— Bhartiya kisan Union (@OfficialBKU) July 18, 2022
सवाल ये उठाया गया था कि इस कमेटी के अध्यक्ष और सदस्य कौन होंगे? कहीं इसमें सरकार का बोलबाला तो नहीं रहेगा? इसमें संयुक्त किसान मोर्चा को के अलावा अन्य किन किसान संगठनों को शामिल किया जाएगा? किसान मोर्चा को ये आशंका थी कि कहीं सरकार इस कमेटी को अपने पिठ्ठुओं से तो नहीं भर देगी?
इस कमेटी के एजेंडे को लेकर भी सवाल थे। कहा गया कि इसमें एमएसपी को कानूनी दर्जा देने पर विचार भी होगा? या कि इसे बातचीत से भी बाहर रखा जाएगा?
संयुक्त मोर्चा के आईटी सेल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कमेटी के सरकारी नोटिफिकेशन से यह स्पष्ट है कि इस बारे में संयुक्त किसान मोर्चा के सभी संदेह सच निकले हैं।कमेटी के अध्यक्ष पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल हैं, जिन्होंने तीनों किसान विरोधी कानून बनाए और आखिर तक उनकी हिमायत की। उनके साथ नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद हैं, जिन्होंने इन तीनों कानूनों को ड्राफ्ट किया था। कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा के 3 प्रतिनिधियों के लिए जगह छोड़ी गई है। लेकिन बाकी स्थानों में किसान नेताओं के नाम पर सरकार ने अपने 5 वफादार लोगों को ठूंस लिया है जिन सबने खुलकर तीनों किसान विरोधी कानूनों की वकालत की थी। यह सब लोग या तो सीधे बीजेपी आरएसएस से जुड़े हैं या उनकी नीति की हिमायत करते हैं।
BJP द्वारा कल बनाई गई Msp कमेटी
• कृष्णा वीर , भारतीय कृषक समाज से जुड़े हैं और बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं
• प्रमोद कुमार चौधरी, RSS से जुड़े भारतीय किसान संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य
• गुणी प्रकाश, भूपेंद्र मान किसान संगठन के हरियाणा अध्यक्ष
1/2— Kisan It Cell (@kisanItcell1) July 19, 2022
आईटी सेल के मुताबिक कमेटी के अधिकतर सदस्य किसी न किसी रूप से बीजेपी और उसके सहयोगी संगठनों से जुड़े हैं। कृष्णा वीर चौधरी, भारतीय कृषक समाज से जुड़े हैं और बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं।
प्रमोद कुमार चौधरी, RSS से जुड़े भारतीय किसान संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य है। इसी तरह गुणी प्रकाश, भूपेंद्र मान के किसान संगठन के हरियाणा अध्यक्ष है। सैयद पाशा पटेल, महाराष्ट्र से बीजेपी के एमएलसी रह चुके हैं। गुणवंत पाटिल, शेतकरी संगठन से जुड़े, डब्ल्यूटीओ के हिमायती और भारतीय स्वतंत्र पक्ष पार्टी के जनरल सेक्रेटरी हैं।
ये पांचो लोग पहले ही तीनों किसान विरोधी कानूनों के पक्ष में खुलकर बोलते थे। कहा गया है कि कमेटी के एजेंडे में एमएसपी पर कानून बनाने का जिक्र तक नहीं है। यानी कि यह प्रश्न कमेटी के सामने रखा ही नहीं जाएगा। एजेंडा में कुछ ऐसे आइटम डाले गए हैं जिन पर सरकार की कमेटी पहले से बनी हुई है। और एक ऐसा आइटम डाला गया है जिसके जरिए सरकार पिछले दरवाजे से वापस तीन काले कानूनों को लाने की कोशिश कर सकती है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने 3 जुलाई की राष्ट्रीय बैठक फैसला लिया था कमेटी का पूरा ब्यौरा मिलने से पहले उसमें शामिल होने का सवाल ही नहीं होता। अब इस पर अंतिम निर्णय मोर्चे को ही करना है। लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि ऐसी कमेटी में जाने का कोई अर्थ नहीं है। हमे इस कमेटी के खिलाफ अवाज उठानी चाहिए।