Wednesday - 30 October 2024 - 5:50 AM

देश को बचाने में लगा है यह परिवार

सैय्यद मोहम्मद अब्बास

लखनऊ। वक्त भी कितना अजीब है… कभी सोचा नहीं था इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ कि घर आने के बाद फौरन बच्चों से मिलती थी और उनका हालचाल लेती थी लेकिन अब अजीब है अब घर लौटती हूं तो डरी सहमी रहती हूं… सोचती हूं मेरी एक गलती मेरे परिवार पर भारी न पड़ जाए और यही सोचकर अलग रहने पर मजबूर हूं…

दूसरी ओर एक पिता बार-बार अपने परिवार की खैरियत लेने के लिए हर दिन फोन करता हैं और पूछता है कि सब ठीक तो हैं। इतना ही नहीं अपनी पत्नी को कहता है कि तुम मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रही हो न… दरअसल ये कहानी एक ऐसे परिवार की है जो अपनी जान की परवाह किये बगैर कोरोना वायरस से लोगों को बचाने के लिए अहम भूमिक निभा रहे हैं।

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इस परिवार के दो सदस्य कोरोना वॉरियस की बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। बता दें कि एक पति पुलिस विभाग में है जबकि पत्नी मेडिकल विभाग में है।

संकट की इस घड़ी में जब पति और पत्नी दोनों ड्यूटी पर होते हैं तो घर पर बेटों को अपने मां-बाप की चिंता सताती रहती है। हम बात कर रहे हैं- हरदोई के वरिष्ठ उपानिरीक्षक बलवंत शाही के परिवार की।

बलवंत की पत्नी लखनऊ के सिविल अस्पताल में नर्स है। पति-पत्नी दोनों के विभाग ऐसे हैं जो संकट की इस घड़ी सबसे ज्यादा सक्रिय है। इतना ही नहीं दोनों अपने फर्ज को निभाने के लिए दिन-रात लोगों की सेवा में लगे हैं।

बलवंत की पत्नी माया शाही कहती है कि पहले की बात दूसरी थी लेकिन अब जिम्मेदारी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से हालात और खराब हो चुके हैं। माया के अनुसार मौजूदा समय में हम दोनों मिलकर देश की सेवा में जुटे हैं।

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उन्होंने कहा कि अभी सबसे ज्यादा जरूरी है कोरोना संक्रमण की चेन को तोडऩा है। हालांकि शाम को जब ड्यूटी के करके घर लौटती हो तो बहुत अजीब लगता है और बेटे और बहू से मिलना चाहती हूं बातचीत करना चाहती हूं लेकिन चाहकर मैं ऐसा नहीं कर सकती हूं।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से मुझे अपने बच्चों से दूरी बनानी पड़ रही है। माया सुबह ड्यूटी पर निकलते वक्त बेटा ख्याल रखने की बात कहता है। ड्यूटी के बाद घर पहुंचने पर पूरी सावधानी बरतती हैं।

हरदोई के वरिष्ठ उपानिरीक्षक बलवंत शाही काफी समय से अपने परिवार से दूर है। हालांकि फोन पर बातचीत हो जाती है लेकिन हर वक्त डर बना रहता है और परिवार की चिंता सताती है। उनका परिवार लखनऊ में है और वो हरदोई में है।

बलवंत बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान पुलिस की सराहनीय भूमिका है। उन्होंने कहा कि सारे पुलिसकर्मी एक वीर योद्धा की तरह ड्यूटी कर रहे है।

सडक़ों पर बेवजह घूमने वाले लोगों को समझा कर उन्हें लौटाना हो या फिर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना। ऐसी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पुलिसकर्मियों को निभा रहा है। उन्होंने कहा उनका परिवार लखनऊ में रहता है।

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इस वजह से उनकी फ्रिक हमेशा होती रहती है। पत्नी नर्स की भूमिका में देश की सेवा कर रही है। उन्होंने कहा कि मेरे और मेरे पत्नी के लिए ड्यूटी पहले हैं। बलवंत शाही ने एक माह का वेतन मुख्यमंत्री के राहत कोष में दिया है।

उन्होंने बताया कि पुलिस की नौकरी के साथ-साथ अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने बैडमिंटन से लेकर वॉलीबॉल में अपना दम-खम दिखाया है। उन्होंने बताया कि 1990 में पुलिस फोर्स में भर्ती हुए थे लेकिन पूरी नौकरी में ऐसे हालात से पहली बार पाला पड़ा है।

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