जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. महाराष्ट्र में अंग्रेज़ी के शिक्षक दत्तात्रेय सावंत ने लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर ऑटो रिक्शा चलाना शुरू कर दिया है. सावंत को काफी लोग जानते हैं, उन्हें सड़कों पर ऑटो रिक्शा दौड़ाते देखकर तमाम लोगों के मन में यह बात आती है कि क्या कोई पैसों के लिए इस स्तर पर भी उतर सकता है कि जिसे सर-सर कहते लोगों की ज़बान नहीं थकती उसने ऑटो का स्टेयरिंग थाम लिया.
सावंत को जिसने करीब से जाना है और जिसे यह बात पता है कि यह अंग्रेज़ी का शिक्षक अचानक से ऑटो चालक कैसे बन गया तो उनके मन में इस शिक्षक का सम्मान और भी बढ़ जाता है. सम्मान बढ़ जाने की वजह यह है कि वह यह काम पैसा कमाने के लिए नहीं बल्कि महामारी से लड़ रहे लोगों की मदद के लिए कर रहे हैं.
महामारी के इस दौर में जो लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं उन्हें घर से अस्पताल और अस्पताल से घर पहुंचाने का काम सावंत ने संभाल लिया है. इस काम के बदले में वह अपनी सवारियों से किराया भी नहीं लेते हैं.
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दत्तात्रेय सावंत ने कोरोना मरीजों की मदद का बीड़ा उठाया है तो इसके साथ ही वह ज़बरदस्त सावधानी भी बरत रहे हैं. वह पूरे दिन पीपीई किट में रहते हैं. मरीज़ को अस्पताल पहुँचाने के फ़ौरन बाद अपनी गाड़ी को सैनेटाइज़ करते हैं. सावंत का कहना है कि महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की संख्या अचानक से बढ़ गई है. सरकारी एम्बुलेंस लगातार व्यस्त है, निजी एम्बुलेंस इतनी महंगी है कि हर कोई उससे जा नहीं सकता, निजी वाहन में कोई भी कोरोना मरीज़ को ले नहीं जाएगा. इसी वजह से यह बीड़ा उठाया कि कोरोना से लड़ रहे लोगों को कम से कम निशुल्क अस्पताल तो पहुंचा ही दिया जाए.