इंटरनेशनल डेस्क
कैंडिडा ऑरिस नामक रहस्यमय बीमारी फंगस के कारण पूरी दुनिया में फैल रही है और इसकी कोई दवा भी उपलब्ध नहीं है। इस कारण पूरी दुनिया के लोग परेशान हैं। 2009 में जापान में एक व्यक्ति में इसके संक्रमण का पता चला था।
एक ओर जहां मेडिकल और दवाइयों की दुनिया एडवांस होती जा रही है तो वहीं दूसरी ओर एक फंगस ने समय के साथ खुद को ऐसे डिवेलप कर लिया कि वह इंसानों के लिए जानलेवा बन चुका है। यह फंगस ब्लडस्ट्रीम में पहुंचने पर शरीर में खतरनाक इन्फेक्शन पैदा करता है।
डरावनी बात यह है कि फिलहाल इसका कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। इससे भी खतरनाक बात यह है कि इससे पीड़ित व्यक्ति की भले ही मौत हो जाए लेकिन फंगस जिंदा रहता है और दूसरों के शरीर में आसानी से प्रवेश कर उन्हें भी मरीज बना सकता है।
दुनिया को चुपचाप अपनी चपेट में ले रहा है यह जानलेवा फंगस, दवाइयां भी हैं बेअसर
न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मई महीने में ब्रुकलीन के माउंट सिनाई हॉस्पिटल फॉर ऐब्डॉमिनल सर्जरी में एक बुजुर्ग व्यक्ति को भर्ती किया गया था। ब्लड टेस्ट में सामने आया कि वह एक नए तरह के जीवाणु से संक्रमित है जो अभी तक जितना रहस्यमयी बना हुआ है उतना ही जानलेवा भी है। टेस्ट रिपोर्ट सामने आने के बाद डॉक्टरों ने मरीज को इन्टेन्सिव केयर यूनिट में शिफ्ट कर दिया।
कैंडिडा ऑरिस नाम का यह फंगस उन लोगों को अपनी चपेट में लेता है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है। यह पूरी दुनिया में चुपचाप फैलता जा रहा है। पिछले पांच सालों में यह वेनेजुएला के नवजात शिशु संबंधी यूनिट और स्पेन के एक अस्पताल में फैल चुका है।
फंगस के कारण एक ब्रिटिश मेडिकल सेंटर को अपनी इन्टेन्सिव केयर यूनिट तक बंद कर देनी पड़ी थी। वहीं इस फंगस ने भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रिका में भी पैर जमाना शुरू कर दिए हैं।
हाल ही में कैंडिडा ऑरिस न्यू यॉर्क, न्यू जर्सी और इलिनॉय में पहुंचा, जिसके बाद रोग नियंत्रण और रोकथाम के संघीय केंद्र ने इसे ऐसे जीवाणुओं की लिस्ट में डाल दिया जिनसे इंसानों को आज के समय में बड़ा खतरा है।
वीक इम्यून सिस्टम वालों को सावधान रहने की जरुरत
एक बुजुर्ग व्यक्ति को पेट की सर्जरी के लिए न्यूयार्क शहर के माउंट सिनाई अस्पताल की ब्रुकलिन शाखा में भर्ती कराया गया था। एक ब्लड टेस्ट से पता चला कि वह एक नए खोजे गए जीवाणु से संक्रमित था क्योंकि यह रहस्यमय था।
डॉक्टरों ने गहन चिकित्सा इकाई में उसे अलग कर दिया। इस जीवाणु को कैंडिडा ऑरिस नामक फंगस कहा गया। यह कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों (वीक इम्यून सिस्टम) को शिकार बनाता है और यह चुपचाप दुनिया भर में फैल रहा है।
बीमारी के लक्षण
इस बीमारी के लक्षण हैं- बुखार, शरीर में दर्द और थकान। इसमें व्यक्ति पहले सामान्य प्रतीत होता है। पहले से बीमार व्यक्ति इस इंफेक्शन के चपेट में आता है। इस बीमारी के सामान्य लक्षण काफी घातक होते हैं।
जो तीमारदार इस फंगल इंफेक्शन से बीमार शख्स की देखभाल करता है, उसे खुद की सुरक्षा करनी चाहिए, नहीं तो उसके भी इस बीमारी के चपेट में आने की संभावना होती है।
मौत के बाद भी जिन्दा रहता है फंगस
माउंट सिनाई हॉस्पिटल में भर्ती कैंडिडा ऑरिस से पीड़ित बुजुर्ग की 90 दिन बाद मौत हो गई। टेस्ट से पता चला कि उन्हें जिस कमरे में रखा गया था वहां की हर चीज पर कैंडिडा ऑरिस मौजूद था। इसके बाद अस्पताल को रूम की सफाई के लिए स्पेशल क्लीनिंग इक्विपमेंट का इस्तेमाल करना पड़ा। उन्हें फंगस को खत्म करने के लिए सीलिंग से लेकर फ्लोर की टाइल्स तक उखाड़नी पड़ी।
दवाई का नहीं होता असर
सी ऑरिस इतना जिद्दी है कि इस पर ऐंटीफंगल मेडिकेशन का भी असर नहीं होता है। इस वजह से यह स्वास्थ्य के लिए खतरा बने उन इन्फेक्शन्स का एक नया उदाहरण बन गया है जो दवा प्रतिरोधी हैं। आसान शब्दों में कहें तो बैक्टीरिया की तरह अब फंगस भी मॉर्डन मेडिसिन के प्रति डिफेंस विकसित कर रहा है।
दुनिया में चुपचाप फैल रहा यह फंगस
कैंडिडा ऑरिस दुनियाभर के अस्पताल में चुपचाप फैलता जा रहा है लेकिन सरकारें मरीजों और लोगों को जबरदस्ती डराने की बात कहते हुए इसे लेकर जानकारी प्रचारित करने के लिए तैयार नहीं हैं। यूएस में कैंडिडा ऑरिस के करीब 587 मामले सामने आ चुके हैं।
इलाज करने वालों को भी डर
कैंडिडा ऑरिस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने वालों को भी अपनी सुरक्षा का डर रहता है। न्यू यॉर्क के एक मेडिकल सेंटर में काम करने वाले डॉ मैथ्यु मैककार्थी ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि उन्होंने हाल ही में जब प्रभावित 30 वर्षीय मरीज का इलाज किया तो उन्हें डर का एहसास हुआ।