न्यूज डेस्क
एक ओर जहां दुनिया के 190 देश कोरोना की महामारी से कराह रहा है तो वहीं यूरोप के एक देश को कोरोना से कई डर नहीं है। जहां कोरोना प्रभावित अधिकांश देशों में लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में बंद हैं तो वहीं इस देश कामकाज आम दिनों की तरह ही चल रहा है।
जी हां , हम बात कर रहे हैं बेलारूस की। यहां कोरोना को लेकर कोई दहशत नहीं है। ये भी सच है कि कोरोना ने चीन के बाद सबसे ज्यादा कहीं कहर बरपाया है तो वह यूरोप है, लेकिन इसी यूरोप के बेलारूस में कोरोना को लेकर कोई भय नहीं है।
बीते कुछ दिनों से यूरोप कोरोना वायरस महामारी का केंद्र बना हुआ है। यहां के कई देशों की सरकारे अपने लोगों से घरों में रहने के लिए कह रही हैं तो वहीं संक्रमण रोनके के लिए कई कठोर पाबंदिया लगा रही हैं, पर बेलारूस सरकार ऐसा कुछ नहीं कर रही है।
कोरोना महामारी से निपटने के लिए बेलारूस के पड़ोसी यूरोपीय देश, यूक्रेन और रूस कई कड़े कदम उठा रहे हैं। यूक्रेन जल्द ही कोरोना को रोकने के लिए आपातकाल का ऐलान कर सकता है तो वहीं रूस ने सभी स्कूलों को बंद कर दिया है, सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पाबंदी लगाई है और देश से आने जाने वाली सभी उड़ानों को भी रद्द कर दिया है।
इस कोरोना काल में बेलारूस में कामकाज आम दिनों की तरह ही चल रहा है। देश की सीमाएं पहले की तरह खुली है, लोग काम पर जा रहे हैं और लोग जरूरी सामान खरीदने के लिए दुकानों में तरफ नहीं भाग रहे। यहां न तो सिनेमाघर और थिएटर बंद किए गए हैं और न ही यहां सार्वजनिक कार्यक्रम करने पर किसी तरह को पाबंदी लगाई गई है।
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दरअसल कोरोना को लेकर बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लूकाशेन्को घबराए नहीं है। वह सजग है। इसलिए वह चाहते हैं कि लोगों में इनको लेकर दहशत न फैले। उनका कहना है कि “घटनाएं तो होती रहती हैं। जरूरी है कि उन्हें लेकर लोगों में दहशत न फैले।”
लूकाशेन्को कहते हैं कि चिंता करना और मानसिक तनाव लेना बेहद खतरनाक है। शायद ये वायरस से भी अधिक घातक है। उन्होंने देश की खुफिया एजेंसी बेलारूसी केजीबी को, “आम लोगों के बीच अफवाह फैलाने और दहशत फैलाने वालों को पकडऩे” का आदेश दिया है।
बेलारूस दुनिया के उन चंद देशों में से है जिसने यहां होने वाली फुटबॉल चैंपियनशिप कैंसिल नहीं की है। यहां हो रहे फ़ुटबॉल मैच सामान्य दिन की तरह कराए जा रहे हैं और पड़ोसी रूस के फुटबॉल प्रेमियों के लिए टेलीविजन पर भी मैचों का सीधा प्रसारण भी किया जा रहा है।
कोरोना को कैसे रोकेगा बेलारूस
कुछ दिनों पहले कोरोना को लेकर बेलारूस के राष्ट्रपति द्वारा दिया गया बयान सुर्खियों में रहा था। लूकाशेन्को ने कहा था कि “कोरोना वायरस को एक ट्रैक्टर रोकेगा”। उनके इस बयान को कई लोगों ने मजाक बनाया था।
दरअसल राष्ट्रपति का यह बयान खेतों में मेहनत करने को लेकर था। उन्होंने ये भी कहा था कि वो ख़ुद शराब नहीं पीते हैं लेकिन कोरोना को रोकने के लिए पीना पड़ा तो वो एक घूंट वोदका तो पी ही सकते हैं। ऐसा नहीं है कि बेलारूस के नागरिक पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से मचे हड़कंप से वाकिफ नहीं है। वे वाकिफ हैं इसलिए चिंतित भी हैं।
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कोरोना के संक्रमण को देखते हुए मिंस्क में कई युवा और स्कूली छात्र बीमारी का बहाना बना तक छात्रों से भरी क्लास में जाने से बच रहे हैं। छात्रों की परेशानी कम करने के लिए कॉलेज और युनिवर्सिटीज ने अपने क्लासेस का वक्त कुछ घंटे पहले कर दिया है, ताकि छात्र सार्वजनिक परिवहन में होने वाली भीड़ से बच सकें।
मिंस्क की सड़कों पर लोग कम ही दिख रहे हैं । लोगों का कहना है कि उन्हें पता है कि बूढ़े लोगों को इस वायरस से अधिक खतरा है, लेकिन कोरोना को लेकर इस तरह का कोई जागरूकता अभियान अधिकारियों की तरफ से नहीं कराया जा रहा।
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राष्ट्रपति ने कहा है कि कोरोना के कारण चिंता करने की कोई बात नहीं है क्योंकि विदेशों से बेलारूस आने वाले सभी लोगों के कोरोना वायरस टेस्ट कराए जा रहे हैं। वो दावा करते हैं कि, “एक दिन में दो या तीन लोगों के टेस्ट के नतीजे पॉजिटिव आ रहे हैं। ऐसे मामलों में उन्हें क्वारंटीन में भेजा जा रहा है और फिर उन्हें डेढ़ सप्ताह या दो सप्ताह बाद छोड़ा जा रहा है। ”
अब तक देश में कोरोना वायरस के कुल 86 मामले सामने आए हैं और यहां इस कारण मात्र दो मौतें हुई है। बेलारूस ने आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि नहीं की है कि मौतों का कारण कोरोना है लेकिन माना जा रहा है कि इन मौतें का कारण वायरस ही है।
बेलारूस कई अर्थों में यूरोप के दूसरे देशों से अलग है। ये यूरोप का आखिरी ऐसा देश है जहां अब भी मौत की सजा का प्रावधान है।
देश की विपक्षी एक्टिविस्ट एंड्रे किम सरकार के कड़े आलोचक रहे हैं, लेकिन इस मामले में वो राष्ट्रपति की बात से इत्तेफाक रखते हैं। किम ने अपने फेसबुक वाल पर लिखा है कि लूकाशेन्को बिल्कुल सही हैं क्योंकि “अगर वो पूरे देश के लोगों पर बाहर निकलने से जुड़े प्रतिबंध लगाते हैं तो बेलारूस की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। यहां चीजें अलग हैं और बेलारुस फिलहाल दुनिया का ऐसा एक मात्र देश है जहां सरकार लोगों का भला सोच कर काम करती है न कि जनकल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर करती है। ”