न्यूज़ डेस्क
नयी दिल्ली। भारतीय उद्योग जगत ने कहा कि मनुष्य जीवन पर बढ़ते संकट को रोकने के लिये देशव्यापी लॉकडाउन बढ़ाना जरूरी था। लेकिन साथ ही उद्योगों ने महामारी के चलते अर्थव्यवस्था के सामने पैदा हुए मुश्किल हालात से उबरने के लिए प्रोत्साहन पैकेज की जरूरत पर भी जोर दिया है।
हालांकि उद्योग जगत को कल आने वाले दिशा- निर्देश का इंतजार है जिसमें 20 अप्रैल के बाद उन जगहों पर कुछ छूट दी जा सकती है, जहां वायरस का प्रसार नहीं होगा।
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लॉकडाउन के विनाशकारी प्रभाव अर्थव्यवस्था पर दिखने लगे हैं और लाखों प्रवासी श्रमिकों की आजीविका पर संकट बढ़ने से चिंताएं पैदा हो गई हैं। इसके चलते कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कुछ क्षेत्रों के लिए छूट मांगी है।
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क्या कहता है उद्योग जगत
फिक्की की राष्ट्रीय अध्यक्ष संगीता रेड्डी का कहना है कि अनुमान है कि भारत को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते प्रतिदिन करीब 40,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है और पिछले 21 दिनों के दौरान 7-8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि अप्रैल से सितंबर 2020 के दौरान करीब चार करोड़ नौकरियों पर संकट रहेगा। इसलिए तत्काल राहत पैकेज भी महत्वपूर्ण है।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी का कहना है कि लॉकडाउन जारी रखने का प्रधानमंत्री का फैसला एक बड़े मानवीय संकट को रोकने के लिए आवश्यक है। साथ ही प्रधानमंत्री ने 20 अप्रैल के बाद लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए एक दिशानिर्देश भी दिया है, जिससे उद्योगों की बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी।
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चेम्बर आफ इण्डस्ट्रीज के प्रदेश उपाध्यक्ष आर.एन सिंह ने बताया कि लाॅकडाउन से 95 फीसदी से अधिक उद्योगों का उत्पादन शून्य हो गया है। साथ ही उद्योगों को कई अन्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उद्योगों के न चलने से उनका कच्चा माल खराब हो रहा है।
उत्पादित माल डम्प है और बाजार से भुगतान नहीं मिल रहा है। साथ ही संगठन की तरफ से अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त को पत्र लिखा है और बिजली के फिक्स चार्ज, बैंक ब्याज को चार महीने तक माफ करने सहित जीएसटी में राहत देने की मांग की है।
आईटी उद्योग की संस्था नॉसकॉम ने कहा है कि हम संक्रमण रहित क्षेत्रों में प्रतिबंधों से छूट देने के प्रस्ताव से खुश हैं और आशा करते हैं कि सरकार जल्द ही आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की भी घोषणा करेगी, ताकि हम अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर सकें। जीवन और आजीविका, दोनों को सहेजने का काम साथ- साथ चलना चाहिए।
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चेम्बर आफ इण्डस्ट्रीज के प्रदेश महासचिव प्रवीन मोदी ने बताया कि औद्योगिक इकाइयों ने मार्च का वेतन श्रमिकों को सात अप्रैल तक दे दिया है, जिन औद्योगिक इकाइयों को उत्पादन शुरू करने की अनुमति मिली है, वे भी उत्पादन नहीं शुरू कर पा रहे हैं क्योंकि श्रमिकों को फैक्ट्री तक आने-जाने का पास नहीं मिला है। कमिश्नर ने फैक्ट्री मजदूरों का पास देने का आश्वासन दिया और कहा कि वे उद्योगपतियों की समस्या को सरकार तक पहूंचाएंगें।
फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ ने कहा कि निर्यातकों और खासकर MSME निर्यातकों को पास अप्रैल में वेतन भुगतान के लिए पैसे नहीं हैं क्योंकि लॉकडाउन के दौरान वे किसी तरह का बिजनेस नहीं कर पा रहे हैं।
उन्होंने चुनिंदा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और खासकर एक्सपोर्ट यूनिट्स के परिचालन शुरू करने से जुड़े फैसले को टाले जाने पर निराशा प्रकट की। उन्होंने कहा कि श्रमिकों, कच्चे माल एवं ट्रांसपोर्ट के अभाव के कारण चुनिंदा विनिर्माण इकाइयों को शुरू करना बहुत कठिन लड़ाई साबित होने वाली है।