Wednesday - 30 October 2024 - 6:41 AM

लोकसभा में आज पेश होगा आरक्षण से जुड़ा ये बिल

जुबिली न्यूज डेस्क

संसद का मानसून सत्र चल रहा है। इस बार सदन में कामकाज कम हंगामा ज्यादा हुआ है। मानसून सत्र का आज से आखिरी सप्ताह शुरु हो रहा है। सरकार सत्र के आखिरी सप्ताह के पहले दिन ही सरकार कई अहम विधाई कार्य निपटाने की तैयारी में है।

केंद्र सरकार आज राज्यों को ओबीसी सूची बनाने का अधिकार देने वाला 127वां संविधान संशोधन विधेयक पेश करेगी। लेकिन, पेगासस सहित अन्य मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा जारी रहने की संभावना है। इसके बावजूद इस विधेयक को पारित करने में ज्यादा अड़चन नहीं आएगी, क्योंकि कोई राजनीतिक दल आरक्षण संबंधी विधेयक का विरोध नहीं करेगा।

वैसे केंद्र सरकार के लिए हंगामे के बीच संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराना थोड़ा कठिन जरूर होगा। हाल में ही कैबिनेट ने इस विधेयक को मंजूरी प्रदान की थी।

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दरअसल, मई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में राज्यों के ओबीसी सूची तैयार करने पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद यह विधेयक लाया जा रहा है। इससे राज्यों को दोबारा यह अधिकार मिल सकेगा।

आज यानी सोमवार को लोकसभा में कुल 6 विधेयक पेश किए जाने हैं। इनमें ओबीसी आरक्षण विधेयक के अलावा लिमिटेड लाइबिलीटी पाटर्नरशिप बिल, डिपॉजिट एवं इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी बिल, नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी बिल, नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन बिल और द कॉन्स्टीट्यूशन एमेंडमेंट शिड्यूल ट्राइब्स ऑर्डर बिल शामिल हैं।

वहीं, राज्यसभा में 4 विधेयक लाए जाएंगे, जो पहले ही लोकसभा से पारित हो चुके हैं। इनमें एप्रोपिएशन बिल तीन और चार पूर्व के खर्च को पारित कराने के लिए हैं। इनके अलावा ट्रिब्नयूल रिफॉर्म बिल एवं जनरल इंश्योरेंस बिल भी सूचीबद्ध हैं।

संशोधन विधेयक पास होने से क्या होगा असर?

ससंद में यदि आज संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366(26) सी के संशोधन पर मुहर लग जाती है तो इसके बाद राज्यों के पास ओबीसी सूची में अपनी मर्जी से जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार होगा।

महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, हरियाणा में जाट समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल होने का मौका मिल सकता है।

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लंबे समय से ये जातियां आरक्षण की मांग कर रही हैं। इनमें से मराठा समुदाय को महाराष्ट्र देवेंद्र फडणवीस सरकार ने आरक्षण दिया भी था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को दिए फैसले में इसे खारिज कर दिया था।

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