जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली ने अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत विधेयक 2020 को पारित कर दिया है. इस विधेयक के पारित होने के साथ ही पाकिस्तान की जेल में बंद भारत के पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को मौत की सज़ा के खिलाफ अपील का अधिकार मिल गया है. इस विधेयक के बन जाने से इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में कुलभूषण जाधव को राजनयिक मदद का रास्ता भी खुल गया है.
पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को वर्ष 2017 में जासूसी और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहने के इल्जाम में मौत की सज़ा सुनाई थी. भारत ने इस सज़ा के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. इंटरनेशनल कोर्ट ने पाकिस्तान को निर्देश दिया था कि वह अपने फैसले की फिर से समीक्षा करे, साथ ही इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए जाधव को भी एक मंच उपलब्ध कराये.
इंटरनेशनल कोर्ट में पाकिस्तान की खूब किरकिरी हुई थी. इसके बाद ही पाकिस्तान ने जाधव की माँ और पत्नी को पाकिस्तान बुलाकर शीशे की दीवार के उस पार खड़ा कर माइक्रोफोन के ज़रिये बात कराई थी.
यह विधेयक पारित होने के बाद पाकिस्तान के कानून मंत्री फरोग नसीम ने कहा कि यह विधेयक पारित कर हमने दुनिया को बताया है कि हम एक ज़िम्मेदार राष्ट्र हैं. उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान यह विधेयक पारित नहीं करता तो भारत इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में अवमानना की कार्रवाई शुरू कर देता. इंटरनेशनल कोर्ट भी यही चाहता था कि भारत इस विधेयक को पारित करे.
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हालांकि पाकिस्तान सरकार को यह विधेयक पारित कराने के लिए विपक्ष की खूब खरी खोटी सुननी पड़ी. विपक्षी सदस्यों ने इसे भारत के आगे आत्मसमर्पण बताया. यह विधेयक पारित हो जाने के बाद अब जाधव अपनी बात कह सकते हैं. वह न्यायालय को यह बता सकते हैं कि वह भारत के पूर्व नौसेना अधिकारी हैं. उन्हें ईरान से बंधक बनाकर पाकिस्तान लाया गया था. यह इल्जाम बिलकुल झूठा है कि वह पाकिस्तान में जासूसी कर रहे थे या फिर आतंकी गतिविधियों में लिप्त थे.