Tuesday - 29 October 2024 - 9:53 AM

लोकसभा चुनाव के बीच तीसरे फ्रंट ने ली अंगड़ाई

न्‍यूज डेस्‍क 

लोकसभा चुनाव के पांच चरणों के मतदान के बाद गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस सरकार बनाने की कवायद भी तेज हो गई है। पीएम नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी के दावों के बीच तीसरे फ्रंट की सुगबुगाहट ने जोर पकड़ लिया है।

पिनरई विजयन से मिले केसीआर

तीसरे मोर्चे के मिशन पर पहला कदम तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस नेता के. चंद्रशेखर राव ने रखा है। चंद्रशेखर ने तिरुवनंतपुरम में केरल के मुख्यमंत्री और माकपा नेता पिनरई विजयन से रात के खाने पर मुलाकात की। सूत्रों की माने तो केसीआर ने विजयन के साथ लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा की। साथ तीसरे फ्रंट की संभावना और उसके भविष्‍य पर बात की।

स्टालिन से भी मिलेंगे चंद्रशेखर

केरल के मुख्यमंत्री से मिलने के बाद केसीआर चेन्नई का रुख करेंगे और डीएमके अध्यक्ष एम.के स्टालिन से मिलेंगे। कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन से केसीआर 13 मई को चेन्नई में मिलेंगे।

इस बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री और जनता दल सेकुलर के नेता एचडी कुमारस्वामी ने सोमवार को केसीआर से फोन पर बात की और केरल और तमिलनाडु के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर चर्चा की। लेकिन उन्‍होंने केसीआर से मिलने के लिए मना कर दिया है।

वहीं, इस बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि चुनाव बाद पीएम पद के चेहरे पर विपक्षी दल बैठक करेंगे।

 

क्‍या क्षेत्रीय दल होंगे एक  

के. चंद्रशेखर राव ने अभी तक समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी की राष्‍ट्रीय प्रमुख मायावती, बीजू जनता दल, आरजेडी के तेजस्‍वी यादव, पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी और वाईएसआर कांग्रेस से बात की है या नहीं, इसे बात का खुलासा नहीं हुआ है।

दल चुनाव में अलग-थलग

गौरतलब है कि मौजूदा लोकसभा चुनाव की एक बड़ी तस्वीर ये भी है कि चुनाव से पहले लंबे वक्त कांग्रेस बीजेपी विरोधी दलों को साथ लाने का बीड़ा उठाती रही है और नरेंद्र मोदी को हराने का दम भरती रही। लेकिन चुनाव आते-आते अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस का क्षेत्रीय दलों से गठजोड़ नहीं हो पाया, जिसका नतीजा ये हुआ कि महागठबंधन का स्वरूप रचने वाले सभी दल चुनाव में अलग-थलग दिखाई दिए।

बता दें कि पिछले साल मार्च में संघीय मोर्चे का विचार पेश किया था और बीजेपी व कांग्रेस दोनों का एक विकल्प प्रदान करने की पहल केसीआर और ममता बनर्जी समेत कई नेताओं ने की थी।

543 लोकसभा सीटों में से 425 पर हुआ मतदान 

बताते चलें कि अभी तक कुल 543 लोकसभा सीटों में से 425 के लिए मतदान हो चुका है। महज 118 सीटें शेष रह गई हैं। ऐसे में पार्टियों के भीतर चुनावी नतीजों को लेकर भी अनुमान लगाए जाने लगे हैं। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष को चारों खाने चित बता रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के मुताबिक बीजेपी का जाना तय है।

23 मई को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही तय हो पाएगा कि केंद्र की सत्‍ता पर कौन काबिज होता है। हालांकि, केसीआर की इस पहल के बाद तीसरे मोर्चे की चर्चा भी तेज हो गई है।

 

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