न्यूज डेस्क
दिल्ली सुलग रही है। हालात पर नियंत्रण करने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है। अब तक की हिंसा में 20 लोगों की मौत हो चुकी है। इस सब को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संसोधन काननू और एनआरसी को लेकर शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को हटाने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है।
कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली में अभी हालात ठीक नहीं है। इसलिए सुनवाई टाल देनी चाहिए। इसलिए कोर्ट ने यह सुनवाई होली के बाद करने का फैसला किया है। इस मामले की सुनवाई अब 23 मार्च को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि अभी सुनवाई का उपयुक्त समय नहीं है। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को समय पर उचित कार्रवाई नहीं करने को लेकर फटकार लगाई।
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न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने पेशेवर रवैया नहीं अपनाया। उन्होंने अमेरिका तथा ब्रिटेन में पुलिस का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कुछ गलत होता है कि पुलिस को कानून के अनुसार पेशेवर तरीके से काम करना होता है।
न्यायाधीश जोसेफ ने कहा कि अगर उकसाने वाले लोगों को पुलिस बच कर निकलने नहीं देती तो यह सब नहीं होता।
मालूम हो कि पिछले 70 दिन से नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के चलते नोएडा-फरीदाबाद सड़क अवरुद्ध है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले को लेकर सुनवाई कर रहा था।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह को शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया गया था।
कोर्ट ने मध्यस्थता करने को लेकर कहा कि वार्ताकारों को सफलता नहीं मिली। मालूम हो कि पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने रविवार को शाहीन बाग प्रदर्शन को सही बताते हुए दिल्ली पुलिस को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था।
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