न्यूज डेस्क
वैसे तो पूरी दुनिया कोरोना से जंग लड़ रही है, लेकिन इस जंग में कुछ महिलाओं के विवेक और निर्णय ने उन्हें हीरो बना दिया है। जहां इन महिला नेताओं की खूब तारीफ हो रही है तो वहीं कई नेताओं की आलोचना हो रही है। जिन देशों में कोरोना ने भयानक तबाही मचा रखी है उन देशों के शासन प्रमुख के निर्णय पर सवाल उठ रहा है कि सख्त फैसला लेने में देरी की वजह से ही आज ये देश इस हालत में पहुंच गए हैं।
दुनिया भर के देश कोरोना वायरस को हराने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन बहुत कम देश ही इसमें सफल होते दिख रहे हैं। अमेरिका के साथ-साथ यूरोप के कई देश कोरोना महामारी से इस कदर बेजार हो चुके हैं कि उनके यहां ताबूत की कमी पडऩे लगी है तो कहीं सामूहिक कबे्रं खोदी जा रही है। वहीं कई ऐसे देश है जहां इस संकट से बड़ी सूझ-बूझ से लड़ा जा रहा है, जिनमें जर्मनी, न्यूजीलैंड, डेनमार्क और चीन शामिल हैं। इन देशों में कोरोना वायरस को टक्कर देने में महिलाओं का बड़ा हाथ रहा है। इन महिलाओं को हीरो कहा जा रहा है। एक नजर इस जंग की असली हीरो पर।
अंगेला मैर्केल
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल अपनी रणनीति की वजह से लोगों की खूब वाहवाही बटोर रही हैं। कोरोना संक्रमण के चलते जर्मनी की कम मृत्यु दर दुनिया भर में चर्चा का विषय बनी हुई है। यहां मृत्युदर .76 प्रतिशत है। इस संकट से निपटने के लिए चांसलर मैर्केल की रणनीति कारगर साबित हुई। उन्होंने कोरोना के शुरआती दौर में ही चेतावनी दे दी थी कि जर्मनी की 60 फीसदी आबादी कोरोना से संक्रमित हो सकती है। मर्केल ने औपचारिक रूप से “लॉकडाउन” शब्द का इस्तेमाल भी नहीं किया और लोगों से कहा कि वे समझती हैं कि आजादी कितनी जरूरी है।
मेरिलिन एडो
जर्मनी की ही मेरिलिन एडो भी किसी हीरो से कम नहीं है। लोग उनके हौसले को सराह रहे हैं। कोरोना वायरस को लेकर लंबे समय से कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस से दुनिया का पीछा तब तक पूरी तरह नहीं छूटेगा जब तक इसका टीका नहीं बन जाता, तो मेरिलिन एडो इसी काम में लगी हुई हैं। जर्मन सेंटर फॉर इन्फेक्शन रिसर्च की प्रोफेसर मेरिलिन एडो अपनी टीम के साथ मिल कर कोरोना वायरस से बचाने का टीका विकसित करने में लगी हैं। इससे पहले वे इबोला और मर्स के टीके भी विकसित कर चुकी हैं।
जेसिंडा आर्डर्न
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न के लॉकडाउन के फैसले की खूब तारीफ हो रही है। 14 मार्च को आर्डर्न ने घोषणा की कि देश में प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति को दो हफ्तों के लिए सेल्फ आइसोलेट करना होगा, जबकि उस समय न्यूजीलैंड में सिर्फ छह मामले सामने आए थे। जैसे ही यहां कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा सौ पार हुआ प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी। उन्होंने देश के बच्चों को संदेश दिया कि वे जानती हैं कि ईस्टर का खरगोश जरूरी है लेकिन इस साल उसे अपने घर में ही रहना होगा।
जुंग इउन केओंग
कोरोना को हराने के लिए दक्षिण कोरिया ने जो किया वो दुनिया के लिए एक मिसाल है। तभी तो कोरोना को नियंत्रित करने के लिए पूरी दुनिया में इस देश की तारीफ हो रही है। और यह सब जुंग इउन केओंग के प्रयास से ही संभव हो पाया है। दक्षिण कोरिया के सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन की अध्यक्ष जुंग इउन केओंग को नेशनल हीरो घोषित किया गया है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक केओंग कोरोना संकट की शुरुआत से दिन-रात काम कर रही हैं। वह ना सो रही हैं और ना ही दफ्तर से बाहर निकल रही हैं। केओंग की मेहनत का ही नतीजा है कि पूरे दक्षिण कोरिया में टेस्टिंग मुमकिन हो पाई और संक्रमण का फैलाव रुक सका।
त्साई इंग वेन
ताइवान ने जिस सूझबूझ से कोरोना से खुद को बचाया है वह काबिलेतारीफ है। यह इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि ताइवान और चीन के बीच बहुत कम दूरी है। वहां कोरोना संक्रमण के चार सौ से भी कम मामले सामने आए हैं, जबकि विशेषज्ञों का मानना था कि ताइवान सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक हो सकता था। वेन की सरकार ने वक्त रहते चीन, हांगकांग और मकाउ से आने वाले लोगों पर ट्रैवल बैन लगा दिया था।
मेट फ्रेडेरिक्सन
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट फ्रेडेरिक्सन ने कोरोना के शुरुआती दौर से ही सख्त कदम उठाने शुरु कर दिए थे। डेनमार्क में 14 मार्च तक देश की सीमाओं को सील कर दिया गया था। उनके इस निर्णय की वजह से ही यहां कोरोना का संक्रमण तेजी से नहीं फैल पाया। यहां अब तक कोरोना संक्रमण के 5,800 मामले ही सामने आए हैं।