जुुबिली न्यूज डेस्क
पिछले एक साल से मास्क के साथ जी रहे अमेरीकी लोगों को अब इससे छुटकारा मिलना शुरु हो गया है। जो लोग कोविड 19 का टीका ले चुके लोग वे बिना मास्क के अब एक-दूसरे के मिल सकेंगे।
अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार जिन लोगों ने कोरोना टीके के सभी डोज ले लिए हैं वो बंद स्थानों पर बिना मास्क लगाए एक दूसरे से मिल सकते हैं।
सीडीसी के निदेशक रोशेल वलेंस्की ने कहा कि इसके अलावा वे लोग दूसरे परिवारों के ऐसे लोगों से भी बिना मास्क के मिल सकते हैं जिन्होंने टीका नहीं लिया है, बशर्ते ज्यादा जोखिम वाली श्रेणी में ना हों।
उन्होंने कहा कि कोरोना टीका ले चुके लोग अगर कोविड-19 से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो उन्हें अपनी जांच कराने की या खुद को क्वारंटाइन करने की भी जरूरत नहीं होगी, अगर उन्हें कोई लक्षण ना दिखाई दें और अगर वो नर्सिंग होम या सुधार केंद्र जैसी सामूहिक जगहों पर ना रहते हों।
अमेरिका में यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब अमेरिकी राज्यों में स्कूलों और बाजारों को खोलने की तैयारी हो रही है। इन राज्यों में कोरोना संक्रमण के नए मामलों में गिरावट दर्ज की गई है।
अमेरिका में अभी तक लगभग छह करोड़ लोगों को कोरोना के टीके का एक या उससे ज्यादा डोज लग चुका है। यह देश की व्यस्क आबादी का 23 प्रतिशत है।
हालांकि पहले टीकाकरण की रफ्तार धीमी थी लेकिन अब उसकी दर लगातार बढ़ रही है। कोरोना के टीके की आखिरी डोज लेने के दो सप्ताह बीत जाने के बाद इसे पूरा माना जाता है।
फाइजर और मॉडर्ना दो डोज वाले टीके हैं और जॉनसन एंड जॉनसन का टीका एक डोज वाला है। फिलहाल कई लोगों के लिए एक अच्छी खबर है, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए, क्योंकि अब वो अपने स्वस्थ बच्चों और उनके बच्चों से मिल सकेंगे। हालांकि कई प्रतिबंध अभी भी हटाए नहीं गए हैं।
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अमेरिका में अभी तक पूरी तरह से टीका लगवा चुके लोगों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहने रहना और दूरी बनाए रखना अनिवार्य है। ऐसा ऐसी बैठकों में बंद स्थानों में करना भी अनिवार्य है जिन में एक परिवार से ज्यादा के लोग शामिल हों।
फिलहाल वैज्ञानिकों को अब काफी भरोसा हो चुका है कि अधिकृत टीके लोगों को मरने से और गंभीर रूप से बीमार होने से बचाते हैं।
ऐसे भी प्रमाण मिलते जा रहे है कि इन टीकों से संक्रमण का प्रसार भी रुकता है, हालांकि शायद उस दर पर नहीं जिस दर पर बीमारी रूकती है और स्पष्ट तस्वीर सामने आने के लिए और ज्यादा रिसर्च की आवश्यकता है।