जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। लोकजनशक्ति पार्टी पूरी तरह से टूट चुकी है। चाचा और भतीजे में सुलह के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। आलम तो यह है कि पार्टी पर अपना वर्चस्व हासिल करने की कोशिशें भी शुरू हो गई है।
चाचा पशुपति कुमार पारस लोकजनशक्ति पार्टी पर अपनी पकड़ को मजबूत करने में जुट गए है लेकिन चिराग भी इतनी आसानी से हार नहीं मानने वाले हैं।
इसी क्रम में चिराग पासवान ने शनिवार रात लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिलकर अपना पक्ष भी रख डाला है। उनके साथ पार्टी के प्रधान महासचिव अब्दुल खालिक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एके वाजपेई व बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी भी थे। दूसरी उनके बागी चाचा पशुपति कुमार पारस ने बड़ा दांव चलते हुए
अपनी नई राष्ट्री कार्यकारिणी का ऐलान कर दिया है लेकिन चिराग ने भी देर किये बगैर रविवार को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में आगे की रणनीति तय की जा सकती है।
इसके साथ ही चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के पार्टी अध्यक्ष के चुनाव को खारिज करते हुए कहा था कि पटना में आयोजित बैठक असंवैधानिक थी और इसमें राष्ट्रय कार्यकारी सदस्यों की न्यूनतम उपस्थिति भी नहीं थी।
चिराग पासवान ने पत्रकारों से बातचीत में यह भी कहा है कि चुनाव आयोग से भी कहा गया है कि पारस के नेतृत्व वाले धड़े को उसकी बैठकों में पार्टी का चिह्न और झंडे का इस्तेमाल करने से रोकने का आग्रह भी किया है। उन्होंने बताया कि पूरे मामले पर चुनाव आयोग को पत्र लिखा जा चुका है।
लोजपा महासचिव अब्दुल खालिक ने कहा कि पारस और पार्टी के चार अन्य सांसदों द्वारा चिराग पासवान को पद से हटाने के बाद संगठन में फूट के बीच चिराग पासवान के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पहले के चुनाव की प्रतिपुष्टि करने के लिए रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी के 90 से अधिक स्वीकृत सदस्य हैं और गुरुवार को पटना में हुई बैठक में उनमें से बमुश्किल नौ मौजूद थे, जिसमें पासवान के चाचा पारस को उनके स्थान पर अध्यक्ष चुना गया था।
रामविलास के निर्देश पर तत्कालीन महासचिव अब्दुल खालिक ने 30 जून 2015 को राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 77 सदस्यों की सूची चुनाव आयोग को सौंपी थी।
उनमें से कई अब लोजपा के साथ नहीं हैं और कुछ लोगों का निधन भी हो गया है। हालांकि दोनों गुटों का दावा है कि 2019 में भी चुनाव आयोग को कार्यकारिणी की सूची दी गई। चिराग गुट के राजू तिवारी के मुताबिक मौजूदा सूची में भी 77 सदस्य हैं, जिनमें अधिसंख्य चिराग के साथ हैं।