न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। देश में लॉकडाउन के बीच सरकार ऐसी इंडस्ट्रियल टाउनशिप्स में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने की इजाजत देने पर विचार कर रही है, जहां एंट्री और एग्जिट नियंत्रित की जा सके और जहां अच्छी मेडिकल फसिलिटी हो। साथ ही सरकार उन कंस्ट्रक्शन साइट्स पर भी काम चालू करने की इजाजत देने पर विचार कर रही है, जहां मजदूर रहते भी हों।
इसके अलावा मेडिकल और हेल्थकेयर से जुड़े उपकरणों के उत्पादन के मामले में भी ऐसी ही ढील दी जा सकती है। अधिकारियों की माने तो इकॉनमी को धीरे-धीरे लॉकडाउन से बाहर निकालने से पहले सरकार कुछ खास क्षेत्रों में रियायत देकर इसका नतीजा देखना चाहती है।
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अधिकारियों की माने तो शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग में लॉकडाउन बढ़ाने पर आम सहमति लगभग बन गई थी और अब सरकार ऐसी गाइडलाइंस पर काम कर रही है, जिनका मकसद लोगों की जिंदगी के साथ रोजी-रोटी का जरिया भी बचाना है।
मामले से वाकिफ एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘तीन हफ्तों का कंप्लीट लॉकडाउन पूरा होने जा रहा है और अब यह सोचा जा रहा है कि कुछ इंडस्ट्रियल ऐक्टिविटी, कंस्ट्रक्शन और मेडिकल उपकरणों-दवाओं का उत्पादन एक सुरक्षित और नियंत्रित माहौल में शुरू किया जाना चाहिए।’
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शर्तों के साथ शुरू होगा काम?
टेक्सटाइल्स, ऑटोमोबाइल्स और इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टरों की बड़ी कंपनियों के लिए प्रस्ताव किया गया है कि सिंगल शिफ्ट में वे काम करें और वह भी 20-25 प्रतिशत उत्पादन क्षमता के साथ। इसमें भी सैनिटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरा ध्यान रखना होगा।
इन उद्योगों को मिल सकती है छूट
टेक्सटाइल्स
इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग
ट्रांसफॉर्मर और सर्किट व्हीकल्स
टेलिकॉम उपकरण बनाने वाली इकाइयां
कंप्रेसर और कंडेंसर यूनिट
रक्षा उपकरण बनाने वाली इकाइयां
पल्प और पेपर यूनिट्स
सभी तरह के खाद्य पदार्थ बनाने वाली इकाइयां
उर्वरक कारखाने
सीमेंट कारखाने
पेंट कारखाने
ऑटोमोबाइल प्लांट्स
प्रेशर कुकर गास्केट
सर्जिकल ग्लव्स और रबड़ कोटेड एप्रन सहित फार्मास्युटिकल आइटम्स
अस्पतालों के लिए ट्रॉली व्हील्स और कैथेटर
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