Wednesday - 6 November 2024 - 3:49 PM

इन चार राज्यों को NGT ने इसलिए लगाई लताड़

न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) ने गंगा में अनट्रिटेड कचरे को डालने से नहीं रोक पानी पर नाराजगी जताते हुए सीवेज ट्रीटमेंट से संबंधित सभी प्रोजेक्ट को 30 जून 2020 तक पूरा करने का निर्देश दिया।

एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार तथा पश्चिम बंगाल को गंगा तथा उसकी सहायक नदियों में औद्योगिक कचरा डालने से रोकने का निर्देश दिया।

एनजीटी ने कहा कि उसके दिशा-निर्देशों के बावजूद उत्तराखंड को छोड़कर किसी भी दूसरे राज्य में नालों के पानी के ट्रीटमेंट के लिए काम शुरू नहीं किया है।

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एनजीटी ने कहा कि उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल ने जो रिपोर्ट दाखिल किया है उसमें नालों की संख्या और उन्हें रोकने से लेकर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक उनकी धारा मोड़ने की दिशा में कोई काम नहीं हुआ है।

NGT ने बाढ़ संभावित मैदानी क्षेत्रों के सीमांकन का भी निर्देश दिया और अधिकारियों से अतिक्रमण रोकने का निर्देश दिया। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वो रानिया और राखी मंडी में जहरीले क्रोमियम मिश्रित सीवेज कचरे को गंगा नदी में डालने से रोके।

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बता दें कि पिछले नवंबर में एनजीटी ने जहरीले क्रोमियम मिश्रित सीवेज कचरे को गंगा नदी में डालने की अनुमति देने पर यूपी सरकार पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था । एनजीटी ने यूपी सरकार पर क्रोमियम मिश्रित सीवेज कचरे को गंगा नदी में डालने को नजरअंदाज करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।

पिछले मई महीने में सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा था कि गंगा राष्ट्रीय नदी घोषित हो चुकी है और इसका देश में अलग महत्व है। गंगा में एक बूंद का प्रदूषण भी चिंता का विषय है। इसके लिए अधिकारियों का रवैया कठोर होना चाहिए।

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गंगा में प्रदूषण किसी भी स्थिति में बर्दाश्त के लायक नहीं है। एनजीटी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी द्वारा पिछले 34 सालों में बार-बार दिए गए निर्देश केवल कागजों तक सीमित नहीं रहने चाहिए।

एनजीटी ने कहा था कि ये बेहद दुखद है कि देश की नदियों से निकलने वाली 351 जलधाराएं प्रदूषित हैं। एनजीटी ने उत्तराखंड, यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिवों को आदेश दिया था कि वह अपने-अपने राज्यों में गंगा की गुणवत्ता से संबंधित रिपोर्ट और आंकड़े अपने वेबसाइट पर हर महीने प्रकाशित करें।

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