स्पेशल डेस्क
लोकसभा चुनाव खत्म हो गया है। मोदी सरकार को जनता ने प्रचंड बहुमत दिया है। दोबारा मोदी सत्ता में लौट रहे हैं जबकि कांग्रेस को एक बार फिर मायूसी हाथ लगी है। इस बार के चुनाव में बॉलीवुड और खेल जगत ने भी बढ़चढक़र हिस्सा लिया है। बीजेपी और कांग्रेस ने दोनों ने बॉलीवुड के सितारे और खिलाडिय़ों को टिकट दिया था। बीजेपी के टिकट जीतने वाले खिलाड़ी हो या फिर सितारे सबने मैदान मार लिया है जबकि कांग्रेस के टिकट कई बड़े खिलाडिय़ों ने भी अपनी किस्मत अजमायी थी लेकिन फिसड्डी साबित हुए है। क्रिकेट के मैदान पर बेहद गम्भीर दिखने वाले गौतम गम्भीर भी संसद जा पहुंचे जबकि शूटिंग की दुनिया में जाना-माना चेहरा राज्यवर्धन सिंह राठौर भी एक बार फिर सांसद बन गए है।
गौतम ने खेली राजनीतिक की गम्भीर पारी
साल 2011 विश्व कप की जब भी बात होती है तो अक्सर हम लोग युवी और माही की बात करते हैं लेकिन इस जीत में एक और खिलाड़ी सबसे बड़ा योगदान था। अगर उसका बल्ला फाइनल में नहीं चलता तो मैच की कहानी कुछ और होती। जी हां टीम इंडिया को खिताब दिलाने में अहम योगदान देने वाले गौतम गम्भीर अब क्रिकेट की पिच के आलावा राजनीतिक पिच पर अपना जौहर दिखाने जा रहे हैं। गौती ने सत्रहवीं लोकसभा में चुनाव मैदान में उतरे और शानदार प्रदर्शन करते हुए विजेता होने का गौरव हासिल किया है, हालांकि इस दौरान उनके ऊपर राजनीतिक छिंटाकशी भी खूब देखने को मिली।
दिल्ली में केजरीवाल की सरकार ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था लेकिन चुनावी घमासान में गौतम बेहद गम्भीर रहे और पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीत परचम लहराया। बता दें कि पद्मश्री पदक विजेता और पूर्व भारतीय ओपनर ने दिसंबर 2018 में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लिया। इसके बाद वो बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसके बाद यह तय हो गया था कि वह चुनावी पिच पर लम्बी पारी खेलना चाहते हैं। गम्भीर ने 58 टेस्ट, 147 एकदिवसीय और 37 टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं।
राज्यवर्धन ने फिर मारा मैदान
ओलम्पिक में देश को पदक जीताने वाले राज्यवर्धन सिंह राठौर राजनीतिक पारी शानदार चल रही है। पहली बार वह 2014 में मोदी लहर में शूटिंग रेंज से संसद जा पहुंचे थे और इस बार भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा है। खेलों की दुनिया में एक समय उनका डंका बजता था। इस बार भाजपा का प्रतिनिधित्व करते हुए जनता ने फिर उनको पहले जैसा ही प्यार दिया है।
राठौड़ मोदी सरकार में खेल मंत्री रह चुके है और उनकी छवि बेहद स्वच्छ है। 2005 में राज्यवर्धन सिंह राठौर को शानदार प्रदर्शन करने के लिए पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें 2004-05 में सबसे बड़े खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इनको नहीं रास आई राजनीति
पिछले काफी समय से बीजेपी के खिलाफ बगावती तेवर अपनाने वाले कीर्ति आजाद को इस बार पंजा रास नहीं आया है। चुनाव से ठीक पहले बीजेपी से किनारा करके कांग्रेस में शामिल हुए थे लेकिन जनता ने उनको नकार दिया है। धनबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से अपनी दावेदारी पेश की थी लेकिन उनको यहां पर हार का मुंह देखना पड़ा है।
आजाद ने इस वर्ष फरवरी माह में कमल को छोड़ पंचे से हाथ मिलाया था। उन्हें लोकसभा चुनावों में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा के पशुपतिनाथ से हारे। वहीं विजेंद्र सिंह, कृष्णा पुनिया भी इस बार राजनीतिक की पिच पर कुछ खास कमाल नहीं कर सके और जीत से चूक गए है।