जुबिली न्यूज डेस्क
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने किसानों से 12 अक्टूबर को यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में जुटने का आह्वान किया है।
इसी दिन 3 अक्टूबर को हुए लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों का अंतिम संस्कार भी किया जाएगा।
पिछले 11 महीने से दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन में बैठे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने शुक्रवार को लखीमपुर हिंसा मामले पर बैठक की।
बैठक के बाद उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को उत्तर प्रदेश के सभी जिलों, पंजाब के गुरुद्वारों और सभी राज्यों में ले जाया जाएगा, ताकि लोगों को यह संदेश पहुंचाया जाए कि बीजेपी सरकार किसानों को प्रताडि़त कर रही है”।
इस बैठक में शामिल हुए भारतीय किसान यूनियन के दाकुंडा धड़े के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा है, “इतना गुस्सा सिर्फ इस घटना के कारण ही नहीं है बल्कि नाराजगी इस बात से भी है कि सरकार इतने लंबे समय से संदिग्धों को बचा रही है।”
बैठक में यह भी कहा गया कि अगर इस हिंसा के मुख्य संदिग्ध आशीष मिश्रा को तत्काल गिरफ्तार नहीं किया जाता है और उनके पिता अजय मिश्रा जो कि गृह राज्य मंत्री भी है,11 अक्टूबर तक पद नहीं छोड़ते हैं या उन्हें नहीं हटाया जाता है तो संयुक्त किसान मोर्चा देशव्यापी “रेल रोको” विरोध प्रदर्शन करेगा।
बैठक में कहा गया कि 18 अक्टूबर को सुबह दस से शाम चार बजे तक पूरे देश में ट्रेनें रोकी जाएंगी। इसके अलावा 24 अक्टूबर को पिछले महीने मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत के तर्ज पर ही लखनऊ में महापंचायत की जाएगी।
इतना ही नहीं दशहरा पर किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुतला जलाने की योजना भी बनाई है।
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संयुक्त किसान मोर्चा ने हिंसा की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की गठित एसआईटी और न्यायिक जांच को खारिज कर दिया है।
उन्होंने कहा कि ख़ुद उच्चतम न्यायालय ने भी कहा था कि वह इससे संतुष्ट नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के साथ सहमति जताते हुए कहा कि सीबीआई जांच से भी समाधान नहीं होगा।
उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की जो सीधे सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करे।
12 अक्टूबर को “शहीद किसान दिवस”
संयुक्त किसान मोर्चा ने 12 अक्टूबर को “शहीद किसान दिवस” घोषित करते हुए किसानों से तिकुनिया पहुंचने की अपील की है।
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मुल्ला का कहना है कि पिछले रविवार को तिकुनिया में कम से कम 20,000 लोग जमा हुए होंगे। उस समय हिंदुओं और पंजाबी सिखों के बीच दंगा भड़क सकता था। किसान नेता राकेश टिकैत ने इसे रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने अजय मिश्रा और दूसरे बीजेपी नेताओं पर सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश का आरोप भी लगाया।
उन्होंने कहा, “इस बार भी बड़ी संख्या में लोग जमा होंगे लेकिन किसान नेता यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी नाराजगी शांतिपूर्ण विरोध तक ही सीमित रहे।”
उनका अनुमान है कि इस दिन देशभर से करीब बीस हजार लोग जमा होंगे।
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